आदि कैलाश यात्रा के लिए कल रवाना होगा भक्तों का दल, धार्मिक महत्व को जानिये

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अफ़ज़ल हुसैन फौजी- नैनीताल। पर्यटक नगरी नैनीताल में कोविड महामारी के दो साल बाद कुमाऊं मंडल विकास निगम की ओर से आदि कैलास यात्रा का संचालन हो रहा है। मंगलवार यानि की आज 30 यात्रियों का दल भीमताल टीआरसी से धारचूला के लिए रवाना होगा। कुमाऊं मंडल विकास निगम के महाप्रबंधक एपी वाजपेई ने बताया कि यात्रा को लेकर भक्तों में गजब उत्साह है। अब तक 700 से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं। इस बार निगम ने यात्रा को लेकर नोएडा की संस्था डिवाइन मंत्रा प्रा लि ट्रिप टू टेंपल्स के साथ अनुबंध किया है। संस्था को परिवहन, यात्री पंजीकरण की जिम्मेदारी दी गई है। बताया कि निगम 1990 से आदि कैलास यात्रा आयोजित करा रहा है। पहले इस यात्रा के लिए सड़क न होने के कारण आवागमन में करीब 200 किलोमीटर पैदल चलना होता था। अब भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार के प्रयासों और सीमा सड़क निर्माण विभाग के सानिध्य में नावीढांग और जोलीकांग तक राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य चल रहा है, जिससे यात्रियों को करीब सौ किमी से अधिक पैदल नहीं चलना होगा। बताया कि यात्रा की तैयारी पूरी हो चुकी हैं। दल में 15 महिलाओं समेत 30 यात्री हैं। इसके अलावा निगम के गाइड शामिल हैं।

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यात्रा का धार्मिक महत्व
स्कंद पुराण के मानस खंड में आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा को कैलाश मानसरोवर यात्रा जितना ही महत्व दिया गया है। मान्यता है कि आदि कैलास पर भी समय-समय पर भोले बाबा का निवास रहा है। पास ही स्थित पार्वती सरोवर में माता पार्वती का स्नान स्थल हुआ करता था। ओम पर्वत तीन देशों की सीमाओं से लगा है। इस स्थान के धार्मिक एवं पौराणिक महत्व का वर्णन महाभारत, रामायण एवं वृहत पुराण जैसे ग्रंथों में मिलता है।

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यात्रा में इन धार्मिक पड़ावों से गुजरेंगे श्रद्धालु
आठ दिनों में होने वाली यह यात्रा नीम करोली बाबा आश्रम कैंची धाम, चितई गोलू मंदिर, जागेश्वर धाम, पार्वती मुकुट, ब्रह्मा पर्वत, शेषनाग पर्वत, शिव मंदिर, पार्वती सरोवर, गौरीकुंड, पाताल भुवनेश्वर, महाभारत काल के बहुत से स्थानों जैसे पांडव किला, कुंती पर्वत, पांडव पर्वत एवं वेदव्यास गुफा से होकर गुजरेगी। कुमाऊं मंडल विकास निगम और संस्था की ओर से यात्रा में हवन पूजा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन का भी प्रावधान किया गया है।

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