‘गुड़ न दो गुड़ जैसी बात तो करो सरकार’

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हल्द्वानी। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके डिग्री कालेज के पूर्व प्राध्यापक डा. सन्तोष मिश्र ने उच्च शिक्षा में गुरुओं के लिए काम चलाऊ, नितान्त अस्थाई जैसे शब्दों को अपमानजनक बताते हुए प्रधानमंत्राी को हस्तक्षेप करने के लिए पत्रा लिखा है। डा. मिश्र ने प्रधानमंत्राी को भेजे पत्रा में कहा है कि प्रधानमंत्राी ने जन भावनाओं को ध्यान में रखते
हुए विभिन्न मंत्रालयों के नाम उनके काम के अनुरूप सम्मानजनक ढंग से परिवर्तित किया। योजना आयोग को नीति आयोग, जल संसाधन को जल शक्ति मंत्रालय, मानव संसाधन एवं विकास को शिक्षा मंत्रालय आदि। पत्रा में आगे लिखते हैं कि मानवता को ध्यान में रखते हुए आपने सबसे बड़ा उल्लेखनीय नाम परिवर्तन विकलांग से दिव्यांग किया है। परन्तु देवभूमि उत्तराखंड के उच्च शिक्षा विभाग ने गुरु, शिक्षक, प्राध्यापक जैसे सम्मानीय पद का नाम कामचलाऊ, नितान्त अस्थाई कर दिया है। गेस्ट, पफैकल्टी, विजिटिंग फैकल्टी, अतिथि प्राध्यापक जैसे नामों के होते हुए भी ‘काम चलाऊ, नितान्त अस्थाई जैसे अपमानजनक’ नाम उच्च शिक्षित बेरोजगारों को हतोत्साहित ही करते हैं। एक तरपफ यूजीसी के द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन 50000 न देकर उनका हक मारा जा रहा है और दूसरी तरपफ ऐसे नामकरण। लोक में एक कहावत है कि ‘गुड़ न दे तो गुड़ जैसी बात तो करे।’

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