हाय लाचारी…..भाई की लाश को टैक्सी की छत पर बांधकर लेकर गयी बहन, हल्द्वानी में एंबुलेंस वालों का दिल नहीं पसीज़ा
हल्द्वानी। गरीबी और लाचारी कभी-कभी इंसान को ऐसी स्थिति में डाल देती है, जहां वह खुद को बेबस और लाचार महसूस करता है। ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला मामला हल्द्वानी का है। जहां एक बहन को अपने भाई की लाश घर तक ले जाने के लिए एक एंबुलेंस नहीं मिल पाई, क्योंकि उसके पास उतने पैसे नहीं थे जितने एंबुलेंस वालों ने मांगे। मजबूरी में उसे अपने भाई के शव को टैक्सी की छत पर बांधकर 200 किलोमीटर दूर बेरीनाग लेकर जाना पड़ा।
यह दर्दनाक कहानी पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग के तमोली ग्वीर गांव के रहने वाले गोविंद प्रसाद और उनकी पत्नी की है। हालांकि उनकी उम्र काफी हो चुकी थी, लेकिन फिर भी वे अपने बेटे और दो बेटियों का पालन पोषण खेती-बाड़ी से कर रहे थे। उनकी बेटी शिवानी ने परिवार की स्थिति को देखते हुए एक अलग रास्ता अपनाया और करीब सात महीने पहले हल्दूचौड़ आ गई। यहां एक कंपनी में काम करने लगी और किराए के मकान में रहने लगी। शिवानी ने सोचा कि यदि उसका 20 वर्षीय भाई अभिषेक भी उसकी मदद के लिए साथ आकर काम करने लगे, तो घर की स्थिति सुधर सकती है। दो माह पहले अभिषेक को शिवानी ने हल्दूचौड़ बुलाया और उसकी कंपनी में नौकरी दिलवाई। दोनों भाई-बहन किराए के कमरे में रहते थे। शिवानी ने बताया कि शुक्रवार सुबह दोनों साथ में काम पर गए। एक घंटे बाद अभिषेक ने सिर में दर्द की शिकायत की और कंपनी से छुट्टी लेकर घर चला गया। शिवानी ने कई बार उसे कॉल किया, लेकिन अभिषेक ने फोन नहीं उठाया।
जब शिवानी दोपहर में खाना खाने के लिए घर पहुंची, तो वहां दवाई की बदबू आ रही थी और अभिषेक कहीं नजर नहीं आया। उसे ढूंढने के बाद वह रेलवे पटरी के पास बेसुध पड़ा मिला। पुलिस की मदद से उसे डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम के बाद शिवानी ने एंबुलेंस से बेरीनाग जाने की कोशिश की, लेकिन एंबुलेंस वालों ने उसे 10-12 हजार रुपये का खर्च बताया। शिवानी के पास इतनी रकम नहीं थी, और उसने कई लोगों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने भी उसकी मदद नहीं की। अंत में, शिवानी ने अपने गांव के एक टैक्सी मालिक से संपर्क किया, जो शव को टैक्सी की छत पर बांधकर बेरीनाग ले जाने को राजी हो गया। इस तरह, शिवानी ने अपने भाई की लाश को टैक्सी की छत पर रखकर 200 किलोमीटर दूर स्थित अपने पैतृक गांव बेरीनाग पहुंचाया।