हल्द्वानी तहसील में एक और ‘कारनामा’…जिलाधिकारी ने दो लोगों को रंगेहाथ पकड़ा

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हल्द्वानी। तहसील में प्राइवेट व्यक्तियों द्वारा भू-राजस्व अभिलेखों पर पब्लिक डीलिंग की शिकायत पर सोमवार को जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने तहसील का औचक निरीक्षण किया तो उन्होंने दो प्राइवेट व्यक्तियों को पकड़ा, जो न्यायालयीन फाइलों पर आम नागरिकों से पब्लिक डीलिंग कर रहे थे। यह दोनों प्राइवेट व्यक्ति संबंधित कक्ष पर कब्जा किए हुए थे, और इस समय वहां कोई अधिकृत सरकारी कर्मचारी भी मौजूद नहीं था। जिसपर डीएम ने अधिकारियों की जमकर फटकार लगाते हुए एडीएम (वित्त एवं राजस्व) नैनीताल को आदेश दिए हैं कि वह इस घटना की विस्तृत और निष्पक्ष जांच करें। जांच प्रतिवेदन तीन सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करें। सोमवार को जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने सोमवार को तहसील हल्द्वानी का औचक निरीक्षण किया। डीएम के अचानक निरीक्षण के दौरान तहसील में हड़कंप मच गया।

डीएम श्री रयाल ने निरीक्षण के दौरान तहसीलदार/नायब तहसीलदार न्यायालय से संबंधित भू-राजस्व अभिलेखों के कक्ष में दो प्राइवेट व्यक्ति पाए गए, जो न्यायालयीन फाइलों पर आम नागरिकों से पब्लिक डीलिंग कर रहे थे। यह दोनों प्राइवेट व्यक्ति संबंधित कक्ष पर कब्जा किए हुए थे, और उस समय वहां कोई अधिकृत सरकारी कर्मचारी भी मौजूद नहीं था।

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उक्त कक्ष में न्यायालयीन अभिलेख अनधिकृत व्यक्तियों की पहुंच में पाए गए, जो सरकारी अभिलेखों की सुरक्षा में गंभीर चूक और प्रशासनिक कार्यप्रणाली में अनियमितता का संकेत देते हैं। जिलाधिकारी ने इस पर नाराजगी व्यक्त की और इसे न्यायालयीन प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप का स्पष्ट उदाहरण बताया। जिलाधिकारी ने इस प्रकरण की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व नैनीताल को आदेश दिए हैं कि वह इस घटना की विस्तृत और निष्पक्ष जांच करें।

जांच में निम्नलिखित बिंदुओं पर गौर किया जाएगा। जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिया कि यदि जांच के दौरान किसी आपराधिक कृत्य के संकेत मिलते हैं, तो उसका उल्लेख जांच प्रतिवेदन में किया जाए। जांच की प्रक्रिया में संबंधित अभिलेखों को सुरक्षित रखने और अधिकारियों/कर्मचारियों एवं प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। जांच प्रतिवेदन तीन सप्ताह के भीतर प्रस्तुत किया जाएगा।

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इन 7 बिन्दुओं पर दिए जांच के आदेश
उक्त प्राइवेट व्यक्तियों की पहचान और उनकी पृष्ठभूमि
न्यायालय कक्ष में उनकी उपस्थिति का आधार और किस अधिकार या अनुमति के तहत वहां थे।
भू-राजस्व से संबंधित किन-किन फाइलों/प्रकरणों पर उन्होंने पब्लिक डीलिंग की।
कक्ष और अभिलेखों तक उनकी पहुंच कैसे सुनिश्चित हुई। किसी सरकारी अधिकारी/कर्मचारी की अनुपस्थिति और उत्तरदायित्व।
क्या किसी अधिकारी/कर्मचारी ने उन्हें कार्य करने की अनुमति दी।
क्या इस अनधिकृत डीलिंग से किसी पक्ष को अनुचित लाभ या किसी अन्य को हानि हुई।
सरकारी अभिलेखों की सुरक्षा, गोपनीयता और न्यायालयीन मर्यादा के उल्लंघन के तथ्य।

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