फिल्मों के साथ साथ स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में धर्म सेंसर बोर्ड ने लगाया पहरा, जारी की यह गाइडलाइन
धर्म सेंसर बोर्ड की बृहस्पतिवार को माघ मेले में गाइड लाइन जारी कर दी गई। ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस बोर्ड की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि यह बोर्ड केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का पूरक होगा। इस नौ सदस्यीय बोर्ड में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक समेत न्यायविद् और सिने जगत की भी हस्तियां शामिल हैं। त्रिवेणी मार्ग स्थित ज्योतिष्पीठ के शिविर में दोपहर पत्रकारों से बातचीत में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने धर्म सेंसर बोर्ड के कामकाज के तरीकों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किसी हिंदू देवी-देवताओं के रूप में धार्मिक किरदार को किसी भी फिल्म, वेब सीरीज में दिखाने की अनुमति तब तक नहीं दी जाए, जब तक उसके किसी भाग में कोई दृश्य, शब्दावली, संवाद, गीत, हाव-भाव, भावार्थ कुछ भी सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति पर विपरीत असर डालता हो। जिस फिल्म में धर्म, संस्कृति, राष्ट्रीय मान बिंदुओं का हनन या उपहास होता हो, उसके प्रमाणन अथवा प्रदर्शन पर सम्यक रूप से रोक लगाई जाए।
उन्होंने कहा कि फिल्मों में महिला एवं पुरुष कलाकारों के परिधान भारतीय मर्यादा को रेखांकित करने वाले हों और अश्लीलता को बढ़ावा न मिले। दोअर्थी गीतों और भावों वाले संवाद पर भी रोक लगनी चाहिए। इसके लिए फिल्म सेंसर बोर्ड को धर्म सेंसर बोर्ड की विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए उससे परामर्श करना चाहिए। इस बोर्ड की मदद से स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालयों में ऐसे कोई भी पाठ्यक्रम होंगे तो उनको भी हटवाया जाएगा। इस बोर्ड के संरक्षक ज्योतिष्पीठाधीश्वर खुद होंगे। इस बोर्ड के प्रमुख सुरेश मनचंदा बनाए गए हैं। इनके अलावा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. पीएन मिश्र, स्वामी चक्रपाणि, अभिनेत्री मानसी पांडेय, उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के उपाध्यक्ष तरुण राठी, कैप्टन अरविंद सिंह भदौरिया, प्रीति शुक्ला, डॉ. गार्गी पंडित, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक डॉ. धर्मवीर इस बोर्ड में शामिल किए गए हैं।