बनभूलपुरा ने न संभाला होता तो गई थी कांग्रेस की भैंस पानी में
आज़ाद क़लम विशेष, हल्द्वानी। …तो हल्द्वानी सीट भी हार सकती थी कांग्रेस! जी हां अगर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र आजाद नगर से कांग्रेस प्रत्याशी को बंपर वोट नहीं मिले होते तो नैनीताल जिले की सभी 6 सीटों पर भगवा परचम लहरा सकता था। गनीमत रही कि कांग्रेस हल्द्वानी सीट निकालने में कामयाब रही। कह सकते हैं कि अगर आजाद नगर (बनभूलपुरा) से ‘खेला’ नहीं होता तो कांग्रेस यहां पर भी हारी हुई थी। बता दें कि सुबह जब से मतगणना शुरू हुई थी तो कांग्रेस-भाजपा के बीच यहां पर जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला। सात राउंड तक तो यहां से भाजपा प्रत्याशी मेयर डा. जोगेन्द्र रौतेला लीड कर रहे थे। लेकिन आठवें राउंड के बाद कांग्रेस प्रत्याशी सुमित हृदयेश ने एक साथ
पांच हजार से अधिक वोटों से बढ़त बना ली। आठवें राउंड तक बनभूलपुरा, राजपुरा आदि क्षेत्रों के ईवीएम खुलने शुरू हो गए थे जिसके बाद भाजपा प्रत्याशी ने अपनी हार मानी ली और मतगणना स्थल से डा. जोगेन्द्र रौतेला निकल गए। इसके बाद कांग्रेसियों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। विदित हो कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र बनभूलपुरा में इस बार कांग्रेस के पक्ष में
जबरदस्त वोटिंग हुई थी। मतदान वाले दिन के रुझान कुछ इस प्रकार थे कि स्थानीय दो बड़े मुस्लिम चेहरे सपा उम्मीदवार शुएब अहमद और एआईएमआईएम से मतीन सिद्दीकी को वोटों के लिए जूझना तक पड़ गया था। लेकिन इस क्षेत्र में कांग्रेस की एकतरफा लहर चली थी। इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि
कांग्रेस प्रत्याशी की जीत का आधार मुस्लिम मतदाता बने हैं। वरना तो मतगणना में बहुसंख्यक क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी हारते हुए आ रहे थे। हैरानी की बात यह है कि सपा उम्मीदवार शुएब अहमद जो 2017 के चुनाव में दस हजार से अधिक वोट लेकर आए थे वो भी बमुश्किल 2000 का आंकड़ा पार कर पाए।
मतीन सिद्दीकी की हालत तो उनसे भी पतली हो गयी। मतीन सिद्दीकी बमुश्किल नौ सौ का आंकड़ा छू पाए। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मुस्लिम
मतदाताओं ने अगर कांग्रेस के पक्ष में जबरदस्त वोटिंग नहीं की होती तो कांग्रेस प्रत्याशी का जीतना मुश्किल हो जाता।
मुस्लिम मतों का धु्रवीकरण न होना रहा फायदेमंद
मुस्लिम मतों का धुर्वीकरण नहीं होना हल्द्वानी सीट पर कांग्रेस की जीत का आधार बना। मुस्लिम मतदाताओं ने इस बार अपने स्थानीय बड़े चेहरों को
दरकिनार कर कांग्रेस को वोट दिया। जो शुएब अहमद 2017 में दस हजार का आंकड़ा आसानी से छू गए थे उन्हें इस बार 2154 मतों से संतोष करना पड़ा। एमआईएम से उम्मीदवार और मुस्लिम क्षेत्र का बड़ा चेहरा माने जाने वाले हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी कोई बड़ा कमाल नहीं दिखा पाए। वो 900 कुछ वोट ही ला सके। लोगों का मानना है कि अगर मुस्लिम मतों का धु्रवीकरण हो जाता तो जैसे नैनीताल जिले में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ है उसमें हल्द्वानी सीट भी शुमार होती।
काम कर गया सुमित का बेहतरीन मैनेजमेंट
कांग्रेस प्रत्याशी सुमित हृदयेश का व्यक्तिगत चुनावी मैनेजमेंट काम कर गया। नैनीताल जिले में जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता चुनाव हार गए जैसे
लालकुआं सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, अगर सुमित हृदयेश ने यहां पर ज़रा सी चूक की होती तो मुमकिन था कि वो भी चुनाव हार जाते। सुमित
हृदयेश के सहयोगियों ने उन्हें बेहतरीन चुनाव लड़ाया। खासकर मुस्लिम क्षेत्र में अवाम ने कांग्रेस के फेवर में अच्छा मतदान किया जिससे सुमित की जीत पक्की हो गयी। बनभूलपुरा क्षेत्र में कांग्रेस ने बिना अधिक
शोर शराबे के साथ चुनाव लड़ा क्योंकि इस क्षेत्र की अवाम का मूड धु्रवीकरण के लिए राजी नहीं था। यह सब गणित कांग्रेस के पक्ष में गया। कांग्रेस नेता शराफत खान ने बताया कि इस बार क्षेत्र की जनता का मूड शुरू से ही कांग्रेस के पक्ष में था, जिसने कांग्रेस प्रत्याशी की जीत की इबारत लिख डाली।