भाजपा: हारे तो आरिफ़ मोहम्मद खान, जीते तो मोहन भागवत!
आज़ाद क़लम, हल्द्वानी। देश के एक बड़े समुदाय को टारगेट कर अपनी राजनीति चमकाने वाली भाजपा पांच राज्यों के चुनाव में हारी तो राष्ट्रपति पद पर आरिफ़ मोहम्मद खान को बैठा कर ‘दाग़’ धोने की कोशिश कर सकती है। और अगर भाजपा इन राज्यों में चुनाव जीतती है तो वो अपने साम्प्रदायिक एजेंडा पर कायम रहते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत का नाम आगे कर सकती है। हालांकि राष्ट्रपति पद की दौड़ में भाजपा के पास वैंकेया नायडू, आनन्दी बेन पटेल समेत और भी चेहरे हैं लेकिन जिन दो चेहरों की सबसे ज्यादा चर्चा ही रही है वो आरिफ मोहम्मद खान और मोहन भागवत हैं। आरिफ़ मोहम्मद खान केरल प्रदेश के राज्यपाल हैं। विदित हो कि वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल इसी साल जुलाई में पूरा हो रहा है। 2014 के बाद देश में भाजपा ने जिस तरह की राजनीति को सरंजाम देकर देश के एक बड़े तबके को धर्म के आधार पर निशाने पर रखा उसने इस पार्टी की छवि को बेहद कट्टर बना दिया है। अब जबकि पांच राज्यों के चुनाव हैं और इनमें भाजपा को अगर नुकसान उठाना पड़ा तो वो ये कोशिश ज़रूर करेगी कि अपने ऊपर लगे दाग को कुछ हद तक मिटा सके। ऐसा माना जा रहा है कि अगर भाजपा अपने कट्टर हिन्दुत्व के एजेंडा पर चलकर इन चुनाव में जीतती है तो मोहन भागवत पर ज़्यादा फोकस करेगी। आरिफ़ मोहम्मद खान भाजपा प्रेमी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर नीति के समर्थक रहे हैं। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें भी भाजपा ने राज्यपाल बनाया।