बीजेपी के सहयोगी एकनाथ शिंदे ने ‘परिवारवाद’ के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये, एक ही फैमिली के 6 लोगों को दिया टिकट

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने टिकट बंटवारे में ऐसा खेल किया कि नेपोटिज़्म के सारे रिकॉर्ड टूट गए। राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाने वाले शिंदे गुट ने खुद अपने घरवालों को टिकटों का इतना बड़ा हिस्सा दे दिया कि सवाल उठने लगे हैं। बदलापुर में चुनाव तो हो रहा है, लेकिन अब मुकाबला राजनीतिक कार्यकर्ताओं और एक परिवार के बीच नजर आता है।
म्हात्रे परिवार ने नगर परिषद की 49 सीटों में से छह टिकट अपने नाम कर लिए। वामन म्हात्रे खुद, पत्नी, बेटा, भाई, भाभी और भतीजा – पूरा परिवार चुनावी मैदान में। स्थानीय कार्यकर्ताओं की मुस्कान गायब है, क्योंकि उन्हें पहले घर की लाइन क्लियर करने का आदेश दिया गया।
बीजेपी भी सवाल उठा रही है, “शिंदे गुट में योग्य उम्मीदवारों की कमी कैसे हो सकती है?” पार्टी कार्यकर्ता यह पूछ रहे हैं कि टिकट के लिए अब मेहनत जरूरी है या खून का रिश्ता काफी है?
इतिहास में 2015 में इस परिवार ने चार सीटें जीती थीं, तब किसी ने ज्यादा शोर नहीं मचाया। लेकिन अब मामला आधे परिवार को नगर परिषद में भेजने का है।
यह अकेला परिवारवाद का मामला नहीं है। शिंदे गुट ने प्रवीण राउत परिवार को भी टिकट बांटे, जिसमें पत्नी और भाभी भी मैदान में हैं। बीजेपी में घोरपड़े परिवार भी अपनी जुगत में है, वहीं उद्धव गुट में पलांडे दंपती आपस में ही चुनावी प्रतिद्वंद्वी हैं।
चुनावी मंचों पर नेता परिवारवाद को देश की सबसे बड़ी समस्या बताते हैं, लेकिन मंच पर जो कार खड़ी होती है, उसमें ड्राइवर, PA और खाना बनाने वाली आंटी तक घरवालों की लिस्ट में शामिल होती है।




