अलविदा पहलवानः हल्द्वानी की इस मशहूर शख्सियत ने 112 वर्ष की उम्र में ली आखिरी सांस

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हल्द्वानी। मशहूर मारूफ अखाड़ा शमशेर हैदरी के उस्ताद अब्दुल नबी पहलवान 112 वर्ष की आयु में दुनिया को अलबिदा कह गए। आपने 70 सालों तक गरीबों अमीरों सहित 50 हज़ार लोगों की निस्वार्थ निशुल्क सेवा की है जिसमें हड्डी जोड़ने नाफ-नले सही करने, नसों का इलाज करने और अनेकों प्रकार के जिस्मानी बीमारियों का देसी दवाओं से इलाज करने के लिए प्रसिद्ध थे। पहलवान के पास पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान तक से लाइलाज मरीज आते रहे और स्वास्थ लाभ लेकर जाते थे। लोग बताते हैं कि अब्दुल नबी पहलवान के पास ऐसी कोई चमत्कारी शिफा थी जिससे वो जिस मरीज़ पर हाथ रखते वो तंदरुस्त हो जाया करता था।

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अल्मोड़ा अर्बन कोऑपरेटिव बैंक कालाढूंगी रोड के सामने लोहे की दुकान चलाते थे। आप अपने पीछे पुत्र पुत्री व और तथा नाती पोते लंबा परिवार छोड़ गए हैं। आपने ठाकुरद्वारा जिला मुरादाबाद से 8 दशक पहले हल्द्वानी आकर अंग्रेजी शासनकाल में हल्द्वानी तो अपना कर्मस्थल बनाया था। आपने हजारों लोगों का रूहानी इलाज करने के लिए आप दूर-दूर तक जाने जाते थे।

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आपके जनाजे की नमाज मस्जिद ए नमरा उजाला नगर बरेली रोड हल्द्वानी पर हुई और आपको बरेली रोड हल्द्वानी कब्रिस्तान में सुपुर्देखाक किया गया। इस अवसर पर हजारों लोग उपस्थित थे। सबने अपनी नम आंखों से आप को अंतिम विदाई दी। आप के अखाड़े के हज़ारों शागिर्द हैं और आपको दूर दूर तक लोग अखाड़ा शमशेर के उस्ताद के नाते तथा रूहानी अलमबरदार थे।

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