एनजीटी पहुंचा नंधौर के इको सेंसेटिव ज़ोन में खनन अनुमति का मामला, पर्यावरण प्रेमी ने भेजी शिकायत

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हल्द्वानी। नंधौर नदी के ईको सेंसेटिव जोन में छह माह के लिए खनन की अनुमति देने का मामला राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एनजीटी) पहुंच गया है। पर्यावरण प्रेमी राहुल सोनकर ने प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए अभिकरण में इसकी शिकायत करते हुए खनन आदेश रद्द करने की मांग की है। पूर्व अवैतनिक वन्यजीव प्रतिपालक दिनेश चंद्र पांडे ने भी नंधौर ईको सेंसेटिव जोन में खनन आदेश की भारत सरकार में शिकायत की है। चेतावनी दी है कि यदि शासन ने आदेश जारी नहीं किया तो वे कोर्ट जाएंगे। गांधी नगर हल्द्वानी निवासी राहुल सोनकर ने एनजीटी में शिकायत की है कि शासन ने आपदा प्रबंधन के लिए एक निजी कंपनी को नंधौर नदी के अपर क्षेत्र में छह माह के लिए खनन की अनुमति दी है। जबकि नंधौर नदी का अपर क्षेत्र ईको सेंसेटिव जोन में आता है। इसके गजट नोटिफिकेशन में साफ है कि ईको सेंसेटिव जोन में खनन निषेध है। वहीं, नदी का अपर क्षेत्र आबादी से तकरीबन डेढ़-दो किमी दूर है। वैसे भी नदी को चैनलाइज करने के लिए कई गेटों से खनन किया जाता है। राहुल सोनकर ने कहा कि केंद्रीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान की टीम का सर्वे भी नहीं हुआ। जबकि नियम है कि संस्थान ही तय करता है कि किस क्षेत्र से कितना लक्ष्य निर्धारित होगा। हालांकि, अब सवाल खड़ा होता है कि ईको सेंसेटिव जोन के गजट नोटिफिकेशन में इस तरह की गतिविधियों पर प्रतिबंध है तो किस नियम के तहत यहां से निकासी होगी। उन्होंने शिकायत में सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों का हवाला देते हुए इसकी जांच करने और ईको सेंसेटिव जोन में खनन पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने शासन के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। वहीं, पूर्व अवैतनिक वन्यजीव प्रतिपालक दिनेश चंद्र पांडे ने नंधौर ईको सेंसेटिव जोन में खनन की अनुमति देने के आदेश की शिकायत भारत सरकार से की है। उन्होंने ने डीएम व डीएपफओ को पत्र सौंपकर कहा कि नंधौर अभ्यारण्य के ईको सेंसेटिव जोन में खनन की अनुमति देना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के नियमों का उल्लंघन है। इसके लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक और सुप्रीम कोर्ट की अनुमति जरूरी है।

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उन्होंने कहा कि नंधौर नदी के अपर क्षेत्र में खनन से प्रथम सूची में दर्ज वन्यजीवों के वास स्थल को क्षति होगी। उन्होंने प्रमुख वन संरक्षक देहरादून, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के उप महानिरीक्षक, सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी के सदस्य सचिव से भी इसकी शिकायत की है।

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यह है मामला
नंधौर सेंचुरी के ईको सेंसेटिव जोन में भी खनन की तैयारी हो चुकी है। ईको सेंसेटिव जोन को बाढ़ से बचाने का हवाला दिया गया है। इस बाबत शासन पहले ही आदेश जारी कर चुका है। जिला प्रशासन भी वन प्रभाग के डीएफओ को पत्र भी भेज चुका है। आदेश में सिर्फ खनन अवधि का जिक्र किया गया है जबकि कितनी खनज सामग्री निकालेगी जाएगी, इसका जिक्र नहीं है। आदेश में सिर्फ इतना कहा गया है कि नंधौर नदी का अपर क्षेत्र जो ईको सेंसेटिव जोन का हिस्सा है, वहां से छह माह तक उपखनिज निकाला जाएगा।

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