किन्हें साबित करनी होगी नागरिकता ? केंद्र सरकार ने राज्यों को डिटेंशन कैम्प बनाने के निर्देश दिए हैं

केंद्र सरकार ने भारत में अवैध रूप से रह रहे विदेशियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी कर ली है। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि वे डिटेंशन सेंटर बनाएं। इनमें ऐसे लोगों को रखा जाएगा जिनकी नागरिकता संदिग्ध है या जो बिना वैध दस्तावेजों के भारत में रह रहे हैं। इन्हें डिपोर्ट किए जाने तक हिरासत में रखा जाएगा।
विदेशी ट्रिब्यूनल करेगा फैसला
2 सितंबर को जारी गजट नोटिफिकेशन के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की नागरिकता पर शक होता है तो सरकार या जिलाधिकारी उसका मामला विदेशी ट्रिब्यूनल को भेज सकते हैं। यह ट्रिब्यूनल तीन सदस्यों का होगा जिनके पास न्यायिक अनुभव होगा। वे तय करेंगे कि व्यक्ति विदेशी है या नहीं।
अगर कोई व्यक्ति यह साबित नहीं कर पाता कि वह विदेशी नहीं है और उसे जमानत नहीं मिलती तो उसे डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा।
गंभीर अपराधों में दोषी विदेशियों को भारत में नहीं मिलेगी अनुमति
अगर कोई विदेशी व्यक्ति किसी गंभीर अपराध में दोषी पाया जाता है तो उसे भारत में रहने या प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा कोई भी विदेशी सरकार की अनुमति के बिना भारत के किसी पर्वत की चोटी पर चढ़ाई नहीं कर सकेगा।
संवेदनशील क्षेत्रों में काम करने के लिए विशेष मंजूरी जरूरी
भारत में काम करने वाले विदेशी अब बिना सरकार की विशेष अनुमति के बिजली, पानी, रक्षा, स्पेस, परमाणु ऊर्जा और मानवाधिकार जैसे क्षेत्रों में काम नहीं कर सकेंगे।
कुछ देशों के नागरिकों को छूट, कुछ पर पाबंदी
नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत में प्रवेश के लिए पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं होगी। लेकिन यह छूट चीन, मकाऊ, हांगकांग और पाकिस्तान से आने वाले लोगों पर लागू नहीं होगी। यही नियम उन तिब्बती लोगों पर भी लागू होंगे जो 1959 के बाद लेकिन 30 मई 2003 से पहले भारत आए थे।
धार्मिक उत्पीड़न झेलने वालों को राहत
अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक जैसे हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को विशेष छूट दी जाएगी। जो लोग 31 दिसंबर 2024 तक भारत में आ चुके हैं उन्हें दस्तावेज वैध हों या नहीं, फिर भी राहत मिलेगी।


