“द कश्मीर फाइल्स” के बहाने उन्मांद फैलाना बन्द करे सरकार वरिष्ठ पत्रकारों ने सरकार को दिया कड़ा पत्र

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‘इन द फेस ऑफ ऑर्केस्ट्रेड हेट्रेड, साइलेंस इज़ नॉट एन ऑप्शन‘ (In the Face of Orchestrated Hatred, Silence Is Not an Option) नाम के इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले देश के कई प्रमुख पत्रकार हैं, जिनमें द वायर  के तीनों संस्थापक संपादक- सिद्धार्थ वरदराजन, एमके वेणु और सिद्धार्थ भाटिया भी शामिल हैं।

अपील में फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की स्क्रीनिंग, कर्नाटक में हिजाब को लेकर उठा विवाद, ‘बुली बाई’ ऐप समेत सोशल मीडिया मंचों पर मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाना और अन्य घटनाओं को लेकर मुस्लिम विरोधी भावना को भड़काने के हाल के प्रयासों का उल्लेख किया गया है.अपील में राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और विभिन्न उच्च न्यायालयों, भारत के निर्वाचन आयोग और अन्य वैधानिक निकायों से हस्तक्षेप का आह्वान किया गया है.अपील में कहा गया है, ‘जब इन सभी घटनाओं को एक साथ लिया जाता है, तो यह स्पष्ट है कि इस विचार को आगे बढ़ाने के लिए देशभर में एक खतरनाक उन्माद पैदा किया जा रहा है कि ‘हिंदुत्व खतरे में है.’अपील में कहा गया है, ‘पूरे भारत के पत्रकारों और मीडियाकर्मियों के रूप में, हम इन सभी संस्थाओं से भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों पर हमलों के मद्देनजर कदम उठाने और अपने कर्तव्य का निर्वहन करने का आह्वान करते हैं.’

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अपील में कहा गया है, ‘हाल में ‘द कश्मीर फाइल्स’- एक ऐसी फिल्म जो मुसलमानों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने के बहाने कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा और त्रासदी का निंदनीय रूप से शोषण करती है- की स्क्रीनिंग के जरिये सिनेमाहॉल के अंदर और बाहर मुस्लिम विरोधी भावना को भड़काने के सुनियोजित प्रयास देखे गए हैं

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पत्र में इन प्रमुख हस्तियों के हस्ताक्षर हैं

इस अपील में जिन लोगों के हस्ताक्षर हैं उनमें ‘द हिंदू’ के पूर्व प्रधान संपादक एन. राम, वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे, द टेलीग्राफ के संपादक आर. राजगोपाल, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, कश्मीर टाइम्स की अनुराधा भसीन, वाइब्स ऑफ इंडिया, गुजरात की दीपल त्रिवेदी, द न्यूज़मिनट वेबसाइट की धन्या राजेंद्रन, स्वतंत्र पत्रकार सबा नकवी, तोंगम रीना, ऑनिंद्यो चक्रवर्ती, कल्पना शर्मा और कारवां पत्रिका के कार्यकारी संपादक विनोद के. जोस भी शामिल हैं.

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