शराबी की तुलना में चरस पीने वाले नही होते किसी के लिए “खतरा” जानिए गांजा फूंकने के नफा नुकसान

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आज़ाद क़लम:-किसी भी इंसान को गांजे का नशा कितनी देर रहेगा, उसके पीछे सबसे ज्यादा जरूरी वजह है- गांजा कितना स्ट्रॉन्ग यानी तीव्र है. कितनी बार फूंका गया है. ऑस्ट्रेलिया स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के साइकोफार्मेकोलॉजिस्ट लेन मेकक्रेगर ने बताया कि गांजा फूंकने के बाद कई हफ्तों तक शरीर में गांजे से निकलने वाला रसायन टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (THC) मिलता है. लेकिन इसकी वजह से शरीर में आने वाली दुर्बलता (Impairment) यानी नशे की वजह शरीर का काम नहीं करना थोड़े समय के लिए रहता है. यानी कुछ घंटों के लिए ही. किसी भी इंसान को गांजे का नशा कितनी देर रहेगा, उसके पीछे सबसे ज्यादा जरूरी वजह है- गांजा कितना स्ट्रॉन्ग यानी तीव्र है. कितनी बार फूंका गया है. ऑस्ट्रेलिया स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के साइकोफार्मेकोलॉजिस्ट लेन मेकक्रेगर ने बताया कि गांजा फूंकने के बाद कई हफ्तों तक शरीर में गांजे से निकलने वाला रसायन टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (THC) मिलता है. लेकिन इसकी वजह से शरीर में आने वाली दुर्बलता (Impairment) यानी नशे की वजह शरीर का काम नहीं करना थोड़े समय के लिए रहता है. यानी कुछ घंटों के लिए ही.

डैनियल ने बताया कि गांजे का नशा अधिकतम 10 घंटे तक रहता है, अगर हाई डोज ओरली (Orally) लिया जाए. नशे में शरीर के दुर्बल होने का समय अधिकतम 4 घंटे रहता है. लेकिन इंसान अगर गांजे को फूंकता है यानी धूम्रपान करता है तो वह थोड़े-बहुत काम कर सकता है. लेकिन अगर किसी ने हाई डोज सूंघ कर लिया है तो वह छह से सात घंटे दुर्बल रह सकता है. लेकिन उसे बड़े काम जैसे ड्राइविंग आदि नहीं करने चाहिए.

डैनियल कहते हैं कि जो लोग हर रोज गांजे का नशा करते हैं, उनके शरीर में एक तय मात्रा में नशा सहने की क्षमता पैदा हो जाती है. वो अपने सारे काम उसी हालत में कर लेते हैं. इसलिए यह बता पाना बेहद मुश्किल है कि गांजे का नशा किस व्यक्ति को कितनी देर तक नशे में रखेगा. क्योंकि जो लोग रेगुलर नशा करते हैं उनके शरीर में दुर्बलता देखने को नहीं मिलती. जबकि, कभी-कभार गांजा का नशा करने वाले शारीरिक रूप से दुर्बल हो जाते हैं कुछ घंटों के लिए

 

अपने मे मस्त रहते हैं काम भी तल्लीनता से निबटा लेते है।

लगातार गांजा का नशा करने वाले लोग कार भी सही से चला लेते हैं. क्योंकि उनके अंदर नशे को बर्दाश्त करने की क्षमता विकसित हो जाती है. अगर दिक्कत होती भी है तो पांच घंटे में शारीरिक दुर्बलता खत्म हो जाती है. उसके बाद वो सारे काम सही से कर सकते हैं. यह स्टडी हाल ही में न्यूरोसाइंस एंड बायोबिहेवरल रिव्यू में प्रकाशित हुई है.

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