लोन दिलाने के नाम पर लाखों रुपए हड़पने वाले दिनेश सक्सेना की जमानत नामंजूर
नैनीताल। न्याय की नगरी नैनीताल मैं जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेंद्र जोशी की अदालत ने ऋण दिलाने के नाम पर लाखों हड़पने का आरोपी दिनेश कुमार सक्सेना पुत्र दीन दयाल सक्सेना निवासी मकान नंबर-215, सेक्टर-1 अनित्य इंटरनेशनल विद्यालय, गाजियाबाद , उत्तर प्रदेश का अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र धारा-420 के अंतर्गत दर्ज मामले की गंभीरता को देखते हुए खारिज कर दिया। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने जमानत का विरोध करते हुए दलील दी कि वैशाली पत्नी मनोज कुमार निवासी चित्रकूट चारपानी रामनगर नैनीताल की तहरीर के आधार पर इसी साल 5 मई को थाना रामनगर में रिपोर्ट दर्ज हुई। तहरीर के अनुसार रिपोर्टकर्ता के नाम हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कंपनी का पेट्रोल पंप आवंटन हुआ है। पंप स्थापित करने को जमीन खरीदने व शुरू करने के लिए ऋण की आवश्यकता थी। उसके पति ने अपने पारिवारिक मित्र दिनेश कुमार सक्सेना से संपर्क किया तो साजिश के तहत छह करोड़ का लोन 4 प्रतिशत कमीशन पर 12 लाख का लोन स्वीकृति से पहले व 12 लाख रुपये स्वीकृति के बाद तय करते हुए कहा कि उसके परिचित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शाखा दिल्ली में स्थित बैंक के जनरल मैनेजर मनीष पाण्डेय उनकी भतीजी हेमा जो लोन का करवाते है, उनके माध्यम से करवा देगा। विश्वास में उसके पति ने ब्याज में अपने लोगों से 12 लाख रुपये कर्ज उठाकर आरोपित के खाते में डलवाये। काफी समय बीत जाने के बाद भी ना तो लोन हुआ और ना ही तीनों आरोपितों ने धनराशि वापस की बात की। दिनेश ने बताया गया कि मनीष व उनकी नतीजी हेमा का फोन बंद आ रहा और मुलाकात नहीं हो पा रही है। जिस पर रिपोर्टकर्ता के पति व्यक्तिगत रूप से दिल्ली गये और दिनेश सक्सेना के साथ दिल्ली में यूनियन हेड आफिस में छानबीन की तो पता चला कि मनीष नाम का जीएम यूनियन बैंक में नहीं है। रिपोर्टकर्ता के पति ने दिनेश से कई बार बात की कि पैसा लाटाने के लिए हमारी मदद करें या दोनों का पता व मोबाइल नंबर बताएं लेकिन उन्होंने कोई प्रयास नहीं किया। जिला शासकीय अधिवक्ता ने यह भी कहा कि दिनेश सक्सेना उक्त मामले का अभी विवेचना के साक्ष्यों व दस्तावेजों के आधार पर मुख्य आरोपित है। दिनेश के खाते में ही धनराशि जमा करायी गयी है, जो अभियुक्त के विरूद्ध गंभीर प्रकृति का अपराध है। गवाहों की गवाही एवं दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त के विरुद्ध अभियोग दर्ज होकर विवेचना जारी है।