रुद्रपुर और खटीमा के आबकारी निरीक्षक पर गिरी गाज, आयुक्त ने किया सस्पेंड, हल्द्वानी अटैच

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देहरादून/नैनीताल। प्रदेश के आबकारी आयुक्त हरि चन्द्र सेमवाल ने उत्तराखण्ड कर्मचारी आचरण नियमावली-2002 के नियम-03 का 1 व 2 में दिए गए प्राविधानों के उल्लंघन किये जाने के चलते प्रतिमन सिंह कन्याल आबकारी निरीक्षक क्षेत्र 1 रुद्रपुर (अतिरिक्त प्रभार) ऊधमसिंहनगर को और देवेन्द्र सिंह बिष्ट, आबकारी निरीक्षक, क्षेत्र 2. खटीमा (अतिरिक्त प्रभार) ऊधमसिंहनगर को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करते हुए संयुक्त आबकारी आयुक्त, कुमायू मण्डल हल्द्वानी नैनीताल से सम्बद्ध करने के आदेश जारी किया है। सेमवाल ने बताया कि आबकारी निरिक्षक प्रतिमन सिंह कन्याल और देवेन्द्र सिंह बिष्ट करीब दो वर्षाे से अपराध निरोधक क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। जिनका मुख्य दायित्व मदिरा दुकानों को व्यवस्थापन करवाना, आबकारी राजस्व को जमा करवाना तथा आबकारी अपराधों पर नियन्त्रण रखना है।

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वर्तमान वर्ष में उत्तराखण्ड आबकारी नीति विषयक नियमावली-2023 में दी गयी व्यवस्थानुसार मदिरा की फुटकर दुकानों का नवीनीकरण, लॉटरी द्वारा व्यवस्थापन तथा प्रथम आवक प्रथम पावक द्वारा व्यवस्थापन किया गया था। जिसके बाद अव्यवस्थापित मदिरा की दुकानों का राजस्व पुनरू निर्धारित कर कम कर व्यवस्थापन किया गया। इस व्यवस्था की प्रक्रिया के बाद क्षेत्र 1 रूद्रपुर में तीन मदिरा की दुकानों का व्यवस्थापन नहीं हो पाया है। जबकि क्षेत्र 2. खटीमा में कुल 30 मंदिरा की दुकानों में से 11 मंदिरा की दुकानों का व्यवस्थापन होना अवशेष है। बताया कि आबकारी निरीक्षक के द्वारा क्षेत्र में आबकारी अपराध पर शिथिल नियन्त्रण रखने, अनुज्ञापियों पर नियन्त्रण न रखने से मंदिरा दुकानों का व्यवस्थापन नहीं हो पाया, जिससे राजकीय राजस्व की हानि हुई।

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क्षेत्र के अंतगज़्त बिकने वाली अवैध मदिरा पर भी आबकारी निरीक्षक का नियन्त्रण नहीं है तथा वह अवैध मदिरा की रोकथाम में असफल रहे हैं। जिस कारण इनका प्रर्वतन कार्य भी संतोषजनक नहीं है। बताया कि मदिरा दुकानों का व्यवस्थापन न करा पाना आबकारी निरीक्षक की कार्याे के प्रति लापरवाही व अपने पद के दायित्वों का पालन न कर पाना है, जिस कारण मदिरा दुकानों के व्यवस्थापन में आबकारी निरीक्षक के लापरवाही बरतने से राजस्व की हानि भी हुई है। जिस संबंध में आबकारी निरिक्षक प्रतिमन सिंह व देवेंद्र सिंह बिष्ट को बीते अप्रैल माह में कारण बताओ नोटिस भी भेजा गया था, जिसका उनके ओर से कोई जवाब नहीं मिला है।

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