हल्द्वानी वनभुलपुरा रेलवे मामले पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, जानिए क्या रहा आज

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हल्द्वानी के बनभूलपुरा बनाम रेलवे मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। कोर्ट ने रेलवे, नगर निगम और वहां बसासत कर रहे लोगों की दलीलों को सुना। कोर्ट ने सभी को सुनने के बाद अगली सुनवाई के लिए 2 महीने बाद का समय दे दिया है।

सुप्रीमकोर्ट में आज शुक्रवार को हल्द्वानी रेलवे मामले की 21 नम्बर पर कोर्ट न० 2 में जस्टिस सूर्यकान्त और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने सुनवाई की।

अवगत करा दें कि अभी लिखित कोई ऑर्डर नहीं प्राप्त हुआ है इसलिए अगली तारीख पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है।

आपको बताते चलें इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में बनभूलपुरा क्षेत्र के रेलवे लाइन के नजदीक अतिक्रमण के मामले में सुनवाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास से 4365 घरों को हटाए जाने से प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास का इंतजाम करने के लिए कहा और साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिया था कि प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए भूमि चिन्हित की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को रेलवे प्रशासन और रेल मंत्रालय के साथ बैठक करने के लिए कहा था।

ये है पूरा मामला

उत्तराखंड हाईकोर्ट में 2013 में एक जनहित याचिका में कहा गया कि रेलवे स्टेशन के पास गौला नदी में अवैध खनन हो रहा है। याचिका में कहा गया कि अवैध खनन की वजह से ही 2004 में नदी पर बना पुल गिर गया। याचिका पर कोर्ट ने रेलवे से जवाब मांगा।

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रेलवे ने 1959 का नोटिफिकेशन, 1971 का रेवेन्यू रिकॉर्ड और 2017 का लैंड सर्वे दिखाकर कहा कि यह जमीन रेलवे की है इस पर अतिक्रमण किया गया है। हाईकोर्ट में यह साबित हो गया कि जमीन रेलवे की है। इसके बाद ही लोगों को जमीन खाली करने का नोटिस दिया गया।

लोगों ने जमीन खाली करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से इन लोगों का भी पक्ष सुनने को कहा। लंबी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस इलाके में अतिक्रमण की बात मानी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे भूमि से अतिक्रमण की बात मानते हुए इसे हटाने का आदेश दे दिया। इस बीच 2023 दो जनवरी को प्रभावितों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी। तब स्टे लगा और मामले की सुनवाई जारी है।

अपडेटः-मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान रेलवे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी और राज्य सरकार की तरफ से अभिषेक अत्रे मौजूद रहे। इस दौरान रेलवे ने कोर्ट को बताया कि परियोजना के लिए 30 हेक्टेयर भूमि की जरूरत है और अतिक्रमण जल्द खाली कराने का अनुरोध किया।
आज सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद नहीं थे। वहीं कब्जेदारों की ओर से वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद, प्रशांत भूषण और अन्य वकील पेश हुए।

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याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दो प्रमुख पॉइंट उठाए कि रेलवे ने जो जमीन की मांग की है वह मांग पूर्व में नहीं थी। रेलवे के इन्फ्रास्ट्रक्चर को अब नुकसान नहीं होगा क्यों की रिटेलिंग वाल का निर्माण कर दिया गया है। दूसरा पॉइंट यह उठाया गया कि लंबे समय से रहने वाले लोगों को अब प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा दिए जाने की बात कही जा रही है जो की अनुचित है।

इसका विरोध रेलवे की वकील ऐश्वर्या भाटी ने किया। लास्ट में माननीय न्यायालय द्वारा दूसरी तिथि दिए जाने की बात कही गई और वह तिथि ऑर्डर में लिखी जाएगी।

गृह सचिव शैलेश बगौली के निर्देश पर इस मामले को देख रहे आईएएस नोडल अधिकारी विशाल मिश्रा और हल्द्वानी नगर निगम के आयुक्त परितोष वर्मा भी कोर्ट में मौजूद रहे।

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