चर्चित बनभूलपुरा कांड में अब्दुल मलिक समेत 19 आरोपियों की याचिका पर सुनवाई, एक को मिली हाई कोर्ट से ज़मानत

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नैनीताल। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के चर्चित बनभूलपुरा कांड के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक, अब्दुल मोईद सहित 19 लोगों की जमानत याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई सुनवाई के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ती मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खण्डपीठ ने सुनवाई के बाद साजिशकर्ता वसीम की जमानत मंजूर कर दी है। हाईकोर्ट में हुई सुनवाई पर उनके ऊपर आरोप लगा था कि वे भीड़ को उकसा रहे हैं और आगजनी करा रहे हैं जबकि उनकी तरफ से कहा गया उनका नाम न तो प्राथमिकी में है न ही उनके द्वारा घटना में वे शामिल हैं। केवल संदेह के आधार पर उन्हें बेवजह से गिरफ्तार किया गया उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए जबकि कोर्ट ने मुख्य आरोपियों को कोई राहत नहीं दी है फिलहाल उन्हें कोई राहत नहीं देते हुए अगली सुनवाई हेतु 5 मई 2026 की तिथि नियत की है।

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मलिक को राजकीय भूमि को खुर्द बुर्द करने के मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी है जबकि दंगा फैलाने के मामले में उनकी व 20 अन्य आरोपियों को अभी तक जमानत नहीं हुई। मामले के अनुसार मलिक सहित अन्य के खिलाफ बनभूलपुरा दंगे के समय चार मुकदमे दर्ज हुए थे जिसमें से एक मामला ये भी था कि मलिक ने कूटरचित तथा झूठे शपथपत्र के आधार पर राजकीय भूमि को हड़पने का कार्य किया यही नहीं उनके द्वारा नजूल भूमि पर कब्जा करके प्लाटिंग तथा अवैध निर्माण करके उसे बेचा गया। राज्य सरकार की तरफ से उनकी जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि बनभूलपुरा कांड की शुरुआत यहीं से हुई थी, जब प्रशासन इस अवैध अतिक्रमण को हटाने गया तो उनके ऊपर पथराव किया गया।

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बाद में इसने दंगा का रूप ले लिया। इसी दंगे में सरकारी तथा पुलिस व अन्य लोग घायल हो गए साथ ही कईयों की जान तक चली गयी। दंगे से संबंधित मामलों में इनकी जमानत नहीं हुई है इसलिए इनकी जमानत निरस्त किया जाय। आरोपियो का कहना है कि उन्हें झूठा फंसाया गया है। एफआईआर में उनका नाम नहीं है। पुलिस ने उन्हें जबरन इस मामले में फंसाया है। इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाय। दंगे में शामिल कई लोगों को जमानत पहले ही कोर्ट से मिल चुकी है।

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