यूपी में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, ये कहा उच्च न्यायालय ने

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भाजपा सरकार में यूपी के कानपुर, प्रयागराज, सहारनपुर समेत कई जिलों में सीएम योगी की हाल ही में बुलडोजर कार्रवाई पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कानून के अनुसार ही काम करने का निर्देश दिया गया।
सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कार्रवाई को उचित बताते हुए कहा कि यह किसी को टारगेट करने के लिए नहीं, बल्कि गलत तरीके से निर्माण कार्य कराने वालों पर कार्रवाई है। उन्होंने कहा कि कोई भी इमारत गिराने से पहले संबंधित पक्ष को नियमानुसार नोटिस दिया जाता है।

दूसरी तरफ याचिकाकर्ता जमीयत-उलमा-ए-हिंद और अन्य की ओर से अपनी दलील रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने बुलडोजर कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। कहा कि सरकार की यह कार्रवाई कुछ खास वर्गों और पक्षों के खिलाफ ही होती है। उन्होंने आरोप लगाया कि कार्रवाई से पहले उनके पक्ष को न तो सुना जाता है और न ही पक्ष रखने का अवसर ही दिया जाता है। यह एकतरफा कार्रवाई है।
याचिकाकर्ताओं ने आशंका जताई की कि सप्ताह के अंत में इस तरह की और भी विध्वंस की कार्रवाई की जा सकती है। यूपी सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “याचिकाकर्ता समाचार पत्रों की रिपोर्टों पर भरोसा करते हैं। हम आधिकारिक रिकॉर्ड पर भरोसा करते हैं।” यूपी प्रशासन की ओर से दलील देते हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, “विध्वंसों के लिए कानून का पालन किया जाता है। मीडिया में विध्वंस को राजनीतिक बयानों से अनावश्यक रूप से जोड़ जाता है।”
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद जस्टिन एस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की वकेशन बेंच ने राज्य सरकार से कहा कि कोई भी कार्रवाई कानून के दायरे में ही होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जमीयत-उलमा-ए-हिंद और अन्य की याचिकाओं पर 3 दिन में जवाब दाखिल करने के लिए कहा, जिसमें यूपी के अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई है कि राज्य में संपत्तियों पर उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई कार्रवाई नहीं की जाए। इस मामले में अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी।

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