गंभीर अपराधों की पुलिसिया जांच पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल, गृहसचिव और डीजीपी को क्या निर्देश दिये ?
नैनीताल। हाईकोर्ट ने एनडीपीएस एक्ट के तहत गंभीर अपराधों की जांच पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं और पुलिस कर्मियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाने पर जोर दिया है। न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की पीठ ने यह निर्णय एनडीपीएस एक्ट के तहत जेल में बंद बुर्जुग दयावती की अपील पर सुनवाई के बाद दिया। जसपुर के अमियावाला गांव निवासी दयावती को गांजा तस्करी के मामले में अदालत ने पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनायी है। अदालत ने जांच में खामी के चलते उसे जमानत प्रदान कर दी। अपीलकर्ता के अधिवक्ता आदित्य प्रताप सिंह ने पुलिस जांच पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि गवाहों के बयानों में विसंगतियां हैं।
ट्रायल कोर्ट के समक्ष महत्वपूर्ण साक्ष्य पेश नहीं किये गये और न ही अभियोजन पक्ष की ओर से ही वैधानिक प्रावधानों का पालन किया गया है। दो प्रमुख गवाहों को भी जांच प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया। कोर्ट ने भी माना कि जांच दोषपूर्ण है और जांच अधिकारी ने अपने कर्तव्यों का सही निर्वहन नहीं किया है। अदालत ने ट्रायल कोर्ट की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ट्रायलकोर्ट भी साक्ष्यों के मूल्यांकन में विफल रही है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि दंडनीय अपराधों की जांच सही नहीं होने से आरोपी गंभीर अपराधों में बरी हो जाते हैं। अदालत ने आगे कहा कि हमारे देश में नशीली दवाओं और पदार्थों की तस्करी एक बड़ी चुनौती है। आपराधिक तत्वों ने देश के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है।
एनसीबी ने भी अपनी वेबसाइट पर कहा है कि तस्कर नई तकनीक का सहारा ले रहे हैं। जिनमें डार्कनेट और ड्रोन भी शामिल हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि यह स्थिति न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि खतरनाक है। अपराधियों के बरी होने से न केवल उनका साहस बढ़ता है बल्कि उनकी नजर में कानून का डर भी खत्म हो जाता है। इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को रोकने के लिये यह बहुत जरूरी है कि जांच पेशेवर तरीके से की जाए। इसलिए अदालत ने कहा कि आज समय की मांग है कि पुलिस कार्मिकों के लिये विशेष प्रशिक्षण आयोजित किये जाए।
अदालत ने प्रमुख सचिव गृह और पुलिस महानिदेशक ;डीजीपीद्ध को इसमें पहल करने के निर्देश दिये हैं साथ ही ऐसे मामलों में उचित कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं। हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि एनसीबी और उत्तराखंड न्यायिक अकादमी उजाला के सहयोग से दो दिनी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाए। अदालत ने प्रदेश की सभी ट्रायल कोर्ट और जिला अदालतों और उजाला के निदेशक को भी आदेश की प्रति भेजने और इस संदर्भ में आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है।