इतिहास: खाड़ी युद्ध में सद्दाम हुसैन बने थे भारतीयों के लिये मसीहा, जानिए कैसे सुरक्षित पहुंचाया था देश

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आज़ाद क़लम विशेष, हल्द्वानी। रूस औऱ यूक्रेन के बीच युद्ध इस समय चरम सीमा पर है। ऐसे हालातों के मद्देनजर अगर इतिहास के पन्ने पलट कर देखें जाएं तो खाड़ी युद्ध में जब लाखों भारतीय, कुवैत में फंसे थे, तब इराकी राष्ट्रपति ‘सद्दाम हुसैन’ ने भारतीयों को कुवैत से अम्मान तक लाने में मदद की थी। उन्होंने बगदाद से बसों की व्यवस्था की थी। लगभग साठ दिन में 1.70 लाख भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया था।

जब सद्दाम ने गुजराल को लगाया था गले

साल 1990 में जब कुवैत पर हमला हुआ तो वहां करीब पौने दो लाख भारतीय फंसे हुए थे। तत्कालीन पीएम वीपी सिंह ने विदेश मंत्री इंद्रकुमार गुजराल को इराक भेजा था। राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने गुजराल को गले से लगा लिया था। यहीं से भारत की जीत शुरू हो गई। कुवैत में फंसे भारतीयों की सुरक्षित स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने के लिए अगस्त 1990 में ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। जो ग्रीन कॉरिडोर तैयार हुआ, वह कुवैत से इराक के रास्ते जॉर्डन बॉर्डर तक पहुंचता था। लेबनान के युद्धग्रस्त क्षेत्रों के भीतर जाकर भारतीयों को बाहर निकाला गया था। हालांकि अब यूक्रेन में ऐसा कोई देश जो लड़ाई में शामिल नहीं है, अंदर नहीं जा सका है। वजह, लड़ाई में रूस और नाटो आमने-सामने है। ये बात अलग है कि नाटो की सेनाएं यूक्रेन में नहीं हैं। अभी जो भारतीय मुसीबत में फंसे हैं, उन्हें निकालने के लिए सीजफायर होना जरूरी है।

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