राह री व्यवस्था- (नैनीताल) पहाड़ में लोगों की तकलीफ आज भी पहाड़ जैसी, ऐसे उठाकर लाना पड़ता है मरीज़ों को

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हल्द्वानी। पहाड़ों में लोगों का दर्द भी पहाड़ जैसा है। सुख-दुख, बीमारी में पहाड़ के लोगों को शहर तक जाने के लिए आज भी चार कंधों का सहारा लेना पड़ता है। यह इस प्रदेश का दुर्भाग्य है कि राज्य गठन के दो दशक बाद भी यहां की सरकारें पहाड़ के लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध् नहीं करा पाई हैं। नेताओं, मंत्रियों के विकास के सारे दावे तब सफेद हाथी साबित होते हैं जब कोई बीमार व्यक्ति गांव से शहर तक चार कंधों पर आता है। नैनीताल जनपद में एक गांव है धरी ब्लॉक का पहाड़पानी सेलालेख। यह एक ऐसा गांव है जहां आज भी रोड नहीं है।
यहां से ग्रामीणों मीलों का सफर पगडंडियों और उफबड़ खाबड़ रास्तों से होकर शहर पहुंचते हैं। सेलालेख में सड़क ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं का भी यह आलम है कि कोई व्यक्ति अगर गांव में बीमार हो जाए और उसे बेहतर इलाज की जरूरत हो तो उसे शहर में आने के लिए चार कंधें का सहारा लेना पड़ता है। गांव के लोगों का कहना है कि गर्भवती महिला हो कोई दूसरे प्रकार का मरीज उसे शहर के लिए लाना पहाड़ सा मालूम पड़ता है। समय पर इलाज न मिलने की वजह से कई मरीज़ असमय दम तोड़ देते हैं। जिला प्रशासन या फिर सरकार सेलालेख में एक अदद सड़क तक नहीं बनवा पाई है। कोरे आश्वासन देकर ग्रामीणों को लौटा दिया जाता है। गांव से एक बीमार महिला को शहर तक लाने के लिए डोली का बंदोबस्त किया गया। समाजसेविका हेमा मेलकानी ने बताया कि सेलालेख के ग्रामीणों की इन दिक्कतों को वे कई बार जिलाधिकारी और विधयक को ज्ञापन दे चुकी हैं। लेकिन कोई सुनवाई किसी भी स्तर से नहीें होती है।

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