53वें चीफ जस्टिस (CJI) के रूप में जस्टिस सूर्यकांत ने ली शपथ

जस्टिस सूर्यकांत (Justice Suryakant) ने 24 नवंबर को भारत के 53वें चीफ जस्टिस (CJI) के रूप में शपथ ले ली है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई. उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई नेता शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए.
CJI सूर्यकांत का कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा. यानी लगभग 15 महीने, जो उन्हें हाल के वर्षों के सबसे लंबे कार्यकाल वाले CJI में शामिल करता है.
10 फरवरी 1962, हिसार ज़िले के पेटवाड़ गांव में जन्मे सूर्यकांत की पढ़ाई-लिखाई गांव के सरकारी स्कूल से शुरू हुई. बाद में उन्होंने गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, हिसार से ग्रेजुएशन और फिर 1984 में MDU, रोहतक से LLB की डिग्री हासिल की. उस वक्त ही वो यूनिवर्सिटी टॉपर बने और कई मेडल जीते. वो खुद बताते हैं
उन्होंने हिसार की ज़िला अदालत से वकालत शुरू की. शुरुआती दिनों में पूरे केस की फीस मिलती थी 550 रुपये, और बाद में सिर्फ एक ड्राफ्ट लिखने के 1100 रुपये. क्योंकि उनकी ‘ड्राफ्टिंग’ ऐसी होती थी कि केस का रुख ही पलट जाए.
CJI सूर्यकांत ने 1985 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की और जल्द ही संविधान, सेवा और सिविल मामलों के विशेषज्ञ माने जाने लगे. साल 2000 में महज़ 38 साल की उम्र में वो हरियाणा के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल बने.
2001 में सीनियर एडवोकेट, 2004 में हाईकोर्ट जज, 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, और 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने. यानी 35 साल का सफर – गांव के स्कूल से सुप्रीम कोर्ट तक.




