हर्षिका की शारीरिक लाचारी को कान्हा की समझ सकते थे, सात फेरे ले लिए, हल्द्वानी में अनूठा विवाह
हल्द्वानी। अपने कान्हा की मूरत को गोद में लेकर निहारती उसकी आंखें मानों मूर्ति के सजीव होने का प्रमाण दे रही थीं। इस अनूठे विवाह की खास बात यह रही कि नाते-रिश्तेदार, पास-पड़ोसी के लोगों ने इस शादी को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जहां युवा डीजे पर थिरक रहे थे तो वहीं महिलाओं की टोली मंगल गीत गाकर प्रभु से दिव्यांग हर्षिका के जीवन को सपफल बनाने के लिए प्रर्थना करते नजर आए। बता दें कि यहां इन्द्रप्रस्थ कालोनी निवासी हर्षिका ने प्रभु श्री कृष्ण से विवाह रचाया।
इस अनूठे विवाह में करीब 300 लोगों ने शिरकत की और हर्षिका को अशीर्वाद दिया। हर्षिका दिव्यांग हैं। और आठ साल की उम्र से ही प्रभु श्री कृष्ण को अपना पति मानती थीं। शहर के उदय लालपुर इलाके के इंद्रप्रस्थ कालोनी पफेज 2 में गुरूवार सुबह साढ़े दस बजे बैंड-बाजे के साथ बाराती झूमते थिरकते पूरन चंद्र पंत के आवास पहुंचे जहां कान्हा का स्वागत किया गया और पिफर शुरू हुई शादी की रस्में। हर्षिका ने प्रभु श्रीकृष्ण की प्रतिमा के साथ सात पफेरे लिए, उन्हें वरमाला पहनाई और अपनी मांग में पिया के नाम का सिंदूर भरा। विवाह संपन्न कराने वाले पंडितों के मंत्रोच्चारण से वहां मौजूद हर व्यक्ति का हृ़दय एक अजीब सी खुशी से सरोबार रहा।
शाम पांच बजे सारी रस्मों के साथ विवाह संपन्न हुआ तो हर्षिका के चेहरे की खुशी देखते ही बन रही थी। अपने कान्हा की मूरत को गोद में लेकर निहारती उसकी आंखें मानों मूर्ति के सजीव होने का प्रमाण दे रही थीं। इस अनूठे विवाह की खास बात यह रही कि नाते-रिश्तेदार, पास-पड़ोसी के लोगों ने इस शादी को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जहां युवा डीजे पर थिरक रहे थे तो वहीं महिलाओं की टोली मंगल गीत गाकर प्रभु से हर्षिका के जीवन को सपफल बनाने के लिए प्रर्थना करते नजर आए। इस शादी के बारे में जिसने सुना वो पता पूछते-ढूंढते समारोह स्थल पहुंचा। किसी ने गुप्त दान दिया तो कोई हर्षिका के लिए उपहार लेकर आया था। लोगों का कहना है कि हर्षिका ने अपने लिए ऐसा जीवन साथी चुना है जो उसकी शारीरिक लाचारी के बारे में उसे कभी सोचने नहीं देगा और उसकी जिंदगी में नया रंग भरेगा।