किरण देसाई एक बार फिर बुकर प्राइज की दौड़ में, उपन्यास ‘द लोनलीनेस ऑफ सोनिया एंड सनी’ हुआ शॉर्टलिस्ट

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भारतीय मूल की लेखिका किरण देसाई को एक बार फिर प्रतिष्ठित बुकर प्राइज के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है. इस बार उन्हें उनके नए उपन्यास *‘The Loneliness of Sonia and Sunny’* के लिए यह सम्मान मिल सकता है. यह उपन्यास अमेरिका में रह रहे युवा भारतीयों की एक जोड़ी की गहरी, जटिल और भावनात्मक यात्रा को दर्शाता है.

53 वर्षीय किरण देसाई का जन्म दिल्ली में हुआ और 15 वर्ष की उम्र में वह अपने परिवार के साथ इंग्लैंड, फिर अमेरिका चली गईं. 19 वर्ष पहले 2006 में उन्हें *‘The Inheritance of Loss’* के लिए बुकर प्राइज मिला था. इस बार उनका नाम फिर से इस पुरस्कार की अंतिम सूची में शामिल हुआ है.

*‘The Loneliness of Sonia and Sunny’* देसाई का अब तक का सबसे लंबा उपन्यास है, जिसमें कुल 667 पृष्ठ हैं. इसे हैमिश हैमिल्टन ने प्रकाशित किया है. बुकर प्राइज की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, यह उपन्यास प्यार, अकेलेपन, वर्ग, नस्ल और राष्ट्रीयता जैसे जटिल विषयों की पड़ताल करता है. यह एक अंतरंग लेकिन विशाल महाकाव्य के रूप में उभरता है.

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किरण देसाई ने बताया कि इस उपन्यास को लिखने में उन्हें करीब दो दशक लगे. उनके अनुसार, वह प्रेम और अकेलेपन की कहानी कहना चाहती थीं. शुरुआत में उन्होंने इसे एक साधारण रूमानी कथा की तरह सोचा था, लेकिन लिखते-लिखते यह विचार गहराता गया और उन्होंने अकेलेपन को व्यापक सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भों में भी तलाशना शुरू किया — वर्गभेद, नस्लीय दूरी, देशों के बीच की असुरक्षा और अतीत की दुनिया का खो जाना, सब इस अकेलेपन के हिस्से बनते गए.

किरण देसाई का साहित्यिक सफर पारिवारिक विरासत से भी जुड़ा है. उनकी मां, अनीता देसाई, तीन बार बुकर प्राइज के लिए नामित हो चुकी हैं. अगर किरण देसाई इस बार फिर से यह पुरस्कार जीतती हैं, तो वह इस सम्मान को दो बार पाने वाली विश्व की पांचवीं लेखिका बन जाएंगी.

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इस साल बुकर प्राइज के लिए कुल छह लेखकों को अंतिम सूची में जगह मिली है. विजेता की घोषणा 10 नवंबर को लंदन के ओल्ड बिलिंग्सगेट में आयोजित समारोह में की जाएगी. पुरस्कार स्वरूप विजेता को 50,000 पाउंड की राशि दी जाएगी, जबकि शॉर्टलिस्ट हुए सभी लेखकों को 2,500 पाउंड प्रदान किए जाएंगे.

साल 2025 की शुरुआत में भारतीय लेखिका बानू मुश्ताक और अनुवादक दीपा भस्थी को *‘Heart Lamp’* के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज मिल चुका है.

बुकर प्राइज और इंटरनेशनल बुकर प्राइज का अंतर

बुकर प्राइज उन उपन्यासों को दिया जाता है जो अंग्रेजी में लिखे गए हों और यूके या आयरलैंड में प्रकाशित हुए हों. इसके विपरीत, इंटरनेशनल बुकर प्राइज उन कृतियों को मिलता है जो किसी अन्य भाषा में लिखी गई हों और उनका अंग्रेजी में अनुवाद हुआ हो. इस पुरस्कार में लेखक और अनुवादक, दोनों को सम्मानित किया जाता है.

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