धर्म संसद के बयानों पर भड़की भीम आर्मी, प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन
हल्द्वानी। भीम आर्मी संरक्षक जीआर टम्टा के नेतृत्व में उप जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित कर धर्म संसद में वक्ताओं के दूसरे धर्म विरोधी बयानों पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की गयी है। ज्ञापन में कहा गया है कि हरिद्वार में आयोजित तथाकथित धर्म संसद के वक्ताओं ने अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों के खिलापफ पूरी तरह से आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया है, जो संवैधानिक रूप से बहुत बड़ा अपराध है। बेहद भद्दी भाषा के साथ मुसलमानों के नरसंहार के लिए वक्ताओं ने जिस तरह वहां उपस्थित लोगों को ललकारते हुए उत्तेजित किया है वह साम्प्रदायिक घृणा का सबसे बड़ा संगीन उदाहरण है। वर्तमान सरकार का ट्रैक रिकार्ड भी देखें तो पाएंगे कि कोई भी बुद्धिजीवी या सामाजिक व्यक्ति इस तरह के आपराधिक कृत्यों के खिलाफ कुछ बोलता है तो सरकार का क्रोध और विरोध का सामना करना पड़ता है और उस पर कानून की इतनी धाराएं जैसे कि देशद्रोह, यूएपीए आदि उसपर थोप दी जाती हैं कि उनका जीवन जेल में ही खत्म हो जाता है। जबकि नरसंहार की धमकी देने वाले गुंडों को पूरी आजादी है। वह आज भी चैनलों या प्रचार माध्यमों से समाज मे जहर घोल रहे हैं, यहां तक कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जैसी महान हस्ती को भी खुलेआम मंच से गालियां दी गईं। ईसाई धर्म के बड़े दिन को मनाने पर भी रोक लगाने का प्रयास करते हुए होटल वालों को धमकी दी गई। ज्ञापन देने वालों में जीआर टम्टा, सिराज अहमद, नफीस अहमद खान, शकील अंसारी पार्षद, विकास कुमार, हरीश लोधी, बाल किशन राम, मोहम्मद पफैसल, अलीम खान, मोनू कुमार, जी आर आर्य, मोहम्मद फुरकान, अहमद अली, अजीम खान, इश्तियाक अहमद आदि थे।