नैनीताल-इस जांबाज़ की शहादत को सैल्यूट करेगा कुमाऊं विश्वविद्यालय, कारगिल युद्ध में दिया था देश के लिए अदम्य साहस का परिचय
नैनीताल। कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो.दीवान सिंह रावत ने कहा कि महावीर चक्र से सम्मानित तथा कुविवि के एलुमनाई शहीद मेजर राजेश अधिकारी को विवि की ओर से विशेष सम्मान दिया जाएगा। प्रो. रावत के मुताबिक उनके नाम पर कुविवि के किसी विभाग या पुस्तकालय का नाम रखा जाएगा। बता दें कि राजेश सिंह अधिकारी का जन्म 25 दिसंबर 1970 को नैनीताल में हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सेंट जोसेफस कॉलेज से 1987 से और माध्यमिक शिक्षा गवर्मेंट इंटर कॉलेज नैनीताल से हुई।
उन्होंने बीएससी कुमाऊँ यूनिवर्सिटी नैनीताल से किया। शुरुआत से ही सेना के प्रति उनमें जो जब्जा था वो उन्हें प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी में ले आया और 11 दिसंबर 1993 को मेजर राजेश सिंह अधिकारी भारतीय सैन्य अकादमी से ग्रेनेडियर में कमिशन हुए। साल 1999 के कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 जाबांज बेटों ने देश की हिफाजत के खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी थी। इनमें एक नाम नैनीताल के मेजर राजेश अधिकारी भी शामिल हैं। जिनकी वीरता की कहानी सुनकर सभी का सीना गर्व से पफूल जाता है। राजेश अधिकारी ने जहां खुद गोली से छलनी होकर भी दुश्मनों के बंकर तबाह कर दिए थे वहीं अदम्य साहस से प्वाइंट 4590 पर कब्जा कर शहादत प्राप्त की।
मेजर राजेश अधिकारी की वीरता एवं सर्वाेच्च बलिदान के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। भले ही आज कारगिल युद्ध को 24 साल पूरे हो गए हों लेकिन कारगिल युद्ध में अपनी शहादत देने वाले शहीद मेजर राजेश अधिकारी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। मेजर राजेश अधिकारी के समय में डीएसबी परिसर के विद्यार्थी रहे। कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत ने बताया कि मेजर राजेश अधिकारी ने कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर से बीएससी की थी लेकिन राष्ट्र के लिए सर्वाेच्च बलिदान देने वाले महावीर चक्र से सम्मानित विवि के एलुमनाई को विवि की ओर से वो सम्मान नहीं मिल सका जिसके वह हकदार थे। बहुत से नए विद्यार्थी तो जानते भी नहीं कि वे डीएसबी में पढ़े भी थे। उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि कभी वह और राजेश अधिकारी एक ही समय में इस परिसर में पढ़े हैं। प्रो. रावत ने कहा कि युवाओं को देशसेवा की प्रेरणा देने और मेजर राजेश अधिकारी को यथोचित सम्मान देने के लिए उनके नाम पर यहां एक विशिष्ट केंद्र बनाया जाएगा। यह कोई विभाग या पुस्तकालय के रूप में भी हो सकता है। इस पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।