Omg- उल्टी भी करोड़ों में बिकती है…..यकीन ना हो तो ये खबर ज़रूर पढ़िये

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उल्टी भी करोड़ों में बिकती है और इसके भी तस्कर होते हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से वन विभाग और एसटीएफ ने ऐसे ही उल्टी के चार तस्करों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से एक करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत वाली उल्टी बरामद हुई है।


दरअसल जिस उल्टी की यहां बात हो रही है वो स्पर्म व्हेल मछली की होती है। स्पर्म व्हेल मछली दुनिया की सबसे बड़ी मछली मानी जाती है। स्पर्म व्हेल मछली की इस उल्टी को एम्बरग्रीस कहते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी डिमांड काफी होती है और इसकी कीमत भी। क्योंकि इसी एम्बरग्रीस से परफ्यूम बनता है। हालांकि स्पर्म व्हेल की हर उल्टी एम्बरग्रीस नहीं होती है। दरअसल इसके पीछे भी एक बड़ा कारण है। स्पर्म व्हेल मछलियां खाने में ज्यादातर कटलफिश और स्क्वीड खाती हैं। लेकिन इनकी हड्डियां ये व्हेल मछली पचा नहीं पाती है। तो वो इन्हें उल्टी करके शरीर से बाहर निकालती हैं। हालांकि कई बार ये हड्डियां स्पर्म व्हेल के आंत में फंस जाती हैं। ऐसे में जब मछली का शरीर हिलता-ढुलता है तो इन हड्डियों के आंत में ही टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। फिर ये टुकडे-टुकड़े मिलकर बड़े हो जाते हैं। इन्हें जोड़ने का काम व्हेल मछली के पाचन तंत्र से निकलने वाला पाचक रस करता है। ये पाचक रस एक तरह से गोंद का काम करता है। तब जाकर व्हेल के आंतों में एम्बरग्रीस तैयार होता है।
यह भी माना जाता है…
यह भी माना जाता है कि यह व्हेल का वीर्य या स्पर्म होता है। इसलिए इस व्हेल को स्पर्म व्हेल कहते हैं। यह अंग ध्वनि संकेतों पर ध्यान केंद्रित करता है जो समुद्र में उछाल के दौरान व्हेल की मदद करता है। एम्बेग्रेस दुर्लभ है और इसीलिए इसकी क़ीमत भी बेहद ऊंची होती है। इसे समुद्र का सोना या तैरता हुआ सोना भी कहते हैं। इसकी क़ीमत सोने से भी अधिक होती है। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में इसकी क़ीमत डेढ़ करोड़ रुपये प्रति किलो तक हो सकती है।

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कामोत्तेजक दवा में होता है इस्तेमाल
एम्बेग्रेस सदियों से न सिर्फ़ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में परफ्यूम और दवाओं के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है। दुनिया के कई देशों की यात्रा करने वाले इब्न बतूता और मार्काे पोलो ने भी अपने यात्रा वृतांतों में एम्बेग्रेस का ज़िक्र किया है। आयुर्वेद के अलावा यूनानी दवाओं में भी एम्बेग्रेस का इस्तेमाल होता है।

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