नफरती भाषणों पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को कह दिया ‘नपुंसक’, जज बोले- फालतु लोगों को सुनने पहुंच जाते हैं लोग
सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामलों पर सुनवाई के दौरान बड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने भड़काऊ भाषण देने वाले लोगों पर कार्रवाई न करने पर राज्य सरकारों को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि हेट स्पीच से निजात पाने के लिए धर्म को राजनीति से अलग करना होगा। हेट स्पीच की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चिंता जताई। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि धर्म को राजनीति से मिलाना ही हेट स्पीच का स्रोत है। जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या सरकारें नपुंसक हो गई हैं, जो खामोशी से सब कुछ देख रही हैं? आखिर इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? हमारी चिंता की वजह है कि राजनेता सत्ता के लिए धर्म के इस्तेमाल को चिंता का विषय बनाते हैं।
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि जुलूस निकालने का अधिकार अलग बात है और उस जुलूस में क्या किया या कहा जाता है, ये बिलकुल अलग बात है। पीठ ने कहा कि इस असहिष्णुता और बौद्धिकता की कमी से हम दुनिया में नंबर एक नहीं बन सकते. अगर आप सुपर पावर बनना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको कानून के शासन की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि गो टू पाकिस्तान जैसे बयानों से नियमित रूप से नागरिक गरिमा को तोड़ा जाता है। अब हम कहां पहुंच गए हैं। कोर्ट ने हैरानी जताते हुए पूछा कि आखिर कितने लोगों के खिलाफ अदालत में अवमानना की कार्यवाही की जा सकती है। इससे बेहतर तो यह होगा कि लोग यह संकल्प ले लें कि वह किसी भी नागरिक या समुदाय का अपमान नहीं करेंगे।
कोर्ट ने कहा कि हम अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं, क्योंकि राज्य समय पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य नाकाम और शक्तिहीन हो गए हैं। अगर राज्य चुप है तो उसका जिम्मा हमारे पर क्यों नहीं होना चाहिए? कोर्ट ने कहा कि कभी हमारे पास नेहरू, वाजपेयी जैसे वक्ता हुआ करते थे। दूर-दराज से लोग उन्हें सुनने के लिए आते थे। अब लोगों की भीड़ फालतू तत्वों को सुनने के लिए आती है. हेट स्पीच से निजात पाने के लिए धर्म को राजनीति से अलग करना होगा. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 28 अप्रैल को अगली सुनवाई करेगी।