राजपूत राजघराने की इस ऐतिहासिक धरोहर को कहा जाता है भवाली का ‘ताजमहल’

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सीमा नाथ- नैनीताल से 11 किमी दूर स्थित भवाली का अपने आप में ही एक खास महत्व है। भवाली के आस पास कई ऐसी धरोहर हैं जो इसे खास बनाती है फिर चाहे वह टीबी सेनिटोरियम अस्पताल हो, नीम करौली महाराज का कैंची धाम हो, सैनिक स्कूल घोड़ाखाल हो या फिर गोलज्यु का पवित्र मन्दिर हो यह सभी भवाली को खास बनाती हैं। लेकिन यहां एक ऐसी ही ऐतिहासिक धरोहर भी मौजूद हैं जो भवाली को ऐतिहासिक रुप से महत्वपूर्ण बनाती हैं और वह हैं यहां स्थित एक मंदिर जो राजपूत राजघराने की धरोहर है। इसे लल्ली मंदिर के नाम से जाता है । यह मंदिर राजस्थान स्थित बीकानेर के राठौर वंश के राजघराने की राजकुमारी चांद कुंवर उर्फ लल्ली की याद में उनके पिता महाराजा गंगा सिंह द्वारा बनाया गया था। जिनकी मृत्यु महज 16 साल की उम्र में हो गई थी। यह स्मारक भवाली के ताजमहल के नाम से भी जानी जाती है। भवाली निवासी रिटायर्ड आईजी और इतिहासकार शैलेन्द्र प्रताप सिंह बताते हैं की राठौर वंश के राजघराने की राजकुमारी चांद कुंवर उर्फ लल्ली की मृत्यु के बाद उनके पिता महाराजा गंगा सिंह ने भवाली में 16 नाली जमीन खरीदकर यहां उन्हें दफनाया और उनकी याद में इस स्मारक का निर्माण किया। बताया कि इस धरोहर की संरक्षण के लिए आज भी राजस्थान सरकार पैसा देती है।

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