आय से अधिक सम्पत्ति- गिरफ्तारी से बचने हाईकोर्ट पहुंचे रामविलास यादव, उच्च न्यायालय ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा

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नैनीताल। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने आय से अधिक सम्पति अर्जित करने के आरोपी उत्तराखण्ड सरकार में अपर सचिव राम विलास यादव की गिरफ्तारी पर रोक के मामले पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सरकार से 23 जून तक स्थिति स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यादव से कहा है कि वे कल 22 जून को अपना बयान समस्त रिकॉर्ड के साथ विजिलेंस के सम्मुख दर्ज कराएं। मामले की अगली सुनवाई 23 जून की तिथि नियत की है। आज सुनवाई के दौरान याचिकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन पर आय से अधिक सम्पति अर्जित करने के आरोप लगाए गए हैं। जो गलत हैं।

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उनकी लड़की अमेरिका अधिवक्ता हैं। लड़का सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता और उनकी पत्नी इंटर कॉलेज लखनऊ की प्रबंधक और खुद वे आईएएस अधिकारी हैं। यह सम्पति इनकी मेहनत से अर्जित की है। जिस व्यक्ति ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की उसके खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। इस मामले में उनको अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया। सरकार ने जो कमेटी गठित की थी उनको पक्ष रखने से पहले ही भंग कर दिया गया। सरकार की तरफ से कहा गया कि विजिलेंस टीम ने इनको कई बार अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया परन्तु ये नही गए और वे मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव व कई मंत्रियों से मिले। मामले के अनुसार आईएएस राम विलास यादव उत्तराखंड शासन में अपर सचिव के पद पर कार्यरत हैं।

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पूर्व में यादव उत्तर प्रदेश सरकार में लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव भी रह चुके हैं। इनके खिलाफ लखनऊ में एक व्यक्ति द्वारा आय से अधिक सम्पति रखने की शिकायत दर्ज की थी। जिसके आधार पर उत्तराखंड सरकार ने जांच शुरू की। विजिलेंस टीम ने इनके लखनऊ, देहरादून व गाजीपुर ठिकानों पर छापा मारा जिसमे सम्पति से सम्बन्धी कई दस्तावेज मिले। जांच करने पर इनके खिलाफ आय से 527 गुना अधिक सम्पति मिली। इस आधार पर सरकार ने इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए आज उन्होंने उच्च न्यायलय की शरण ली। यादव उत्तर प्रदेश सरकार में एलडीए सचिव के साथ साथ मंडी परिषद के निदेशक भी रह चुके हैं।

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