पुस्तकालय घोटाले में उत्तराखंड हाईकोर्ट से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को राहत

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नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को हरिद्वार में 2010 में पुस्तकालय घोटाला मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। इसमें सरकार की ओर से शपथपत्र पेश कर कहा गया कि सरकार ने सभी पुस्तकालय नगर निगम को दे दिए हैं और निगम ही इनका संचालन कर रहा है, इसलिए जनहित याचिका का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है।
शपथपत्र के आधार पर कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई। इस जनहित याचिका के निस्तारित होने से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व हरिद्वार विधायक मदन कौशिक को बड़ी राहत मिली है।

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देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक द्वारा विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए धनराशि आवंटित की गई थी। पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट कर दिया गया, लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया और विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट की गई। इससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है। लिहाजा पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए। बुधवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी।

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