सियाचिन का वो बर्फीला तूफान…….28 साल के थे चन्द्रशेखर हर्बोला, 38 साल बाद घर पहुंचेगा पार्थिव शरीर

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हल्द्वानी। 38 साल पहले की बात है। 19-कुमाउं रेजीमेंट में तैनात जवान चन्द्रशेखर हर्बोला सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत को अंजाम देते हुए बर्फीले तूफान में दबकर शहीद हो गए थे। उनके साथ 19 और जवान भी थे। जिनमें से 14 शवों को बरामद किया गया था। पांच जवानों के शव नहीं ढूंढे जा सके। आप सोच रहे होंगे कि 38 साल पुरानी सियाचिन की इस घटना का आज से क्या ताल्लुक। दरअसल जिन पांच लोगों के शव नहीं ढूंढे जा सके थे उनमें एक शव हल्द्वानी धनमिल निवासी उपरोक्त चन्द्रशेखर हर्बोला का भी था। जिसे आज पूरे 38 साल बाद बरामद किया गया है। हालांकि उस समय परिवार को उनकी शहादत के बारे में उसी समय बता दिया गया था। आज जब इस बात की सूचना यहां स्व. हर्बोला के परिवार को मिली तो सभी अवाक रह गए।

किसी के भी मुंह से एक शब्द नहीं निकला हां आंखों से आंसू निकलते सबने देखे। यहां शहर में इसकी खबर लोगों में फैली तो मामला सुर्खियों में आ गया। देश की आजादी के अमृत महोत्सव का अजीब सा वातावरण यहां तारी हो गया। बता दें कि उस समय चंद्रशेखर हर्बाेला की उम्र सिर्फ 28 साल थी। उनकी दोनों बेटियां बहुत छोटी थीं। परिजनों ने 38 साल पहले चंद्र शेखर हर्बाेला का अंतिम संस्कार पहाड़ के रीति रिवाज के हिसाब से किया था, लेकिन अब 38 साल बाद उनका पार्थिव शरीर सियाचिन में खोजा गया है जो कि बर्फ के अंदर दबा हुआ था जिसके बाद अब उनके पार्थिव शरीर को 15 अगस्त यानि आजादी का दिन उनके घर पर लाया जाएगा और आप उनके पार्थिव शरीर का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा क्योंकि 38 साल पहले बिना पार्थिव शरीर के उनका अंतिम संस्कार किया गया था।

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चन्द्रशेखर हर्बाेला की पत्नी शांति देवी के आंसू अब सूख चुके हैं क्योंकि उनको पता है कि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं। गम उनको सिर्फ इस बात का था की आखिरी समय में उनका चेहरा नहीं देख सकी। उनकी बेटी कविता पांडे ने कहा कि पिता की मौत के समय वे बहुत छोटी थी। पिता का चेहरा याद नहीं है। अब जब उनका पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचेगा तभी जाकर उनका चेहरा देख सकेंगे। उनकी मौत का ग़म एक तरपफ है और यह खुशी एक तरपफ कि मेरे पिता ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। अब उनके पार्थिव शरीर को धान मिल स्थित उनके आवास पर 15 अगस्त को लाया जा रहा है जिन का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ रानी बाग स्थित चित्रशाला घाट में होगा।

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