हाइकोर्ट में राज्य सरकार की किरकिरी, जिलाधिकारियों को फटकार, हल्द्वानी में कूड़ा निस्तारण को लेकर नगर आयुक्त को हाज़िर होने का आदेश

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नैनीताल उत्तराखंड सरकार के नाम एक और किरकिरी दर्ज हो गयी है जहाँ उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने धामी सरकार से पूछा है कि नए ट्रैक एवं एक्सपीडिशन रूट खोलने से पहले क्यों प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति नही ली गयी। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विपिन सांघी एवं जस्टिस आरसी खुल्बे के समक्ष अल्मोड़ा निवासी जितेंद्र यादव की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी जताते हुए सभी जिलाधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने माना कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के विषय मे किसी भी जिलाधिकारी द्वारा कोई रिपोर्ट नही दी गयी है जो उनके आदेशो की अवहेलना दिखाता है वही सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि कुछ जिलाधिकारी द्वारा रिपोर्ट भेज दी गयी है मगर वो उस फॉरमेट मे नही है जिसे कोर्ट मे पेश किया जा सके साथ ही उनके द्वारा स्टेटस रिपोर्ट दर्ज करने के लिये और समय की मांग की गई। कोर्ट ने हल्द्वानी मे कूड़ा निस्तारण पर सख्त रुख अपनाते हुए नगर आयुक्त को अगली तारीख में कोर्ट मे पेश होने का आदेश भी जारी किया। वही याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत मैनाली द्वारा उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों मे खोले जाने वाले 10 नये ट्रैक रूट और 30 नये एक्सपीडिशन माउंटेन के विषय मे अवगत कराया कि इन नये रूट पर कूड़ा प्रबंधन के कोई ठोस उपाय नही है और ना ही सरकार के पास कोई कार्ययोजना है जिससे इन उच्च हिमालयी क्षेत्र मे कूड़ा निस्तारण का कार्य सुचारू रूप से चले।

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