अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा या नहीं…सुप्रीमकोर्ट ने दिया फैसला

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें उसने 1967 के अपने ही फैसले को पलटते हुए एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने के पक्ष में निर्णय दिया है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संवैधानिक पीठ ने 4-3 के बहुमत से सुनाया।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, जस्टिस जेडी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा ने संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने का समर्थन किया। वहीं, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने इसके खिलाफ फैसला सुनाया।

यह मामला 2006 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था, जहां उच्च न्यायालय ने एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान के रूप में मान्यता नहीं दी थी। उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, और बाद में 2019 में मामले को सात जजों की पीठ के पास भेजा गया था।

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सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यह अहम सवाल उठाया था कि क्या एक ऐसा विश्वविद्यालय, जिसका प्रशासन सरकार द्वारा संचालित हो, वह अल्पसंख्यक संस्थान होने का दावा कर सकता है। साल 1967 में ‘अजीज बाशा बनाम भारत गणराज्य’ मामले में पांच जजों की पीठ ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को खारिज कर दिया था, लेकिन 1981 में सरकार ने एएमयू एक्ट में संशोधन कर विश्वविद्यालय को फिर से अल्पसंख्यक दर्जा दे दिया था।

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इस नए फैसले के साथ अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा बरकरार रहेगा। यह निर्णय एएमयू के शिक्षाविदों और छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके संस्थान को विशेष अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करता है, खासकर शिक्षा के क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने के संदर्भ में।

यह फैसला एक महत्वपूर्ण कानूनी और सामाजिक मामला बन गया है, क्योंकि इससे न केवल एएमयू, बल्कि अन्य अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों और उनके संविधानिक दर्जे को लेकर भी सवाल उठते हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला यह स्पष्ट करता है कि यदि कोई संस्थान कानून के तहत स्थापित है, तो वह अपनी विशेषता और अधिकारों के लिए अल्पसंख्यक संस्थान होने का दावा कर सकता है।

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