सरकारी ज़मीन को सांठ गांठ कर खुर्दबुर्द करने के मामले में तत्कालीन एसडीएम समेत कई लोगों पर मुकदमा

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देहरादून। हरिद्वार के ज्वालापुर में करीब एक दशक पहले सामने आए शत्रु सम्पत्ति को खुर्दबुर्द करने का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। दरअसल मामले में शुरू हुई कार्यवाही ने हड़कंप मचाकर रख दिया है। विजिलेंस ने तत्कालीन एसडीएम व तहसीलदार समेत कई अधिकारियों और जमीन खुर्दबुर्द कर खरीद फरोख्त करने वाले लोगों के खिलाफ देहरादून में मुकदमा दर्ज कराया।

इस कार्यवाही ने अधिकारियों और भूमाफिया समेत खेल से जुड़े लोगों में खलबली मची हुई है। हरिद्वार के ज्वालापुर का यह मामला 10 साल से भी ज्यादा पुराना है। यह सम्पत्ति ज्वालापुर में ईदगाह के आसपास बताई गई है। जिसपर ज्यादातर हिस्से में कई कई मंजिला मकान भी बन चुके हैं।

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मामले में कई बड़े अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं, जिनपर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी हो रही है। खबरों के मुताबिक इस मामले में धारा 420, 467, 468, 471, 218 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। प्रकरण में आरोपियों के खिलाफ सांठ-गांठ कर षड़यंत्र के तहत सरकारी जमीन को खुर्दबुर्द करने का आरोप है।

एफआईआर में तत्कालीन एसडीएम हरवीर सिंह, तत्कालीन हल्का लेखपाल अनिल कुमार कंबोज, तत्कालीन शासकीय अधिवक्ता सुखपाल सिंह, लेखपाल नीरज तोमर और विजेंद्र गिरी, विजेंद्र कश्यप, तत्कालीन कानूनगो श्रवण कुमार, तत्कालीन सब रजिस्ट्रार एसबी शर्मा, हरिकृष्ण शुक्ला व मायाराम जोशी, एडवोकेट पहल सिंह वर्मा, एडवोकेट सज्जाद, दस्तावेज लेखक मोहनलाल शर्मा, यशपाल सिंह चौहान, एडवोकेट राजकुमार उपाध्याय, रियाज, शरीफ, शौकत वहीदा, सलीम, जुलेखा, कारी मुस्तफा, कोमल, विनोद मलिक, रेशमा, प्यारेलाल, सफदर अली और संजीदा आदि को नामजद किया गया है।

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हरिद्वार तहसील में उस दौरान तैनात रहे अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लाया गया है। बताया जा रहा है कि प्रकरण में कुछ बड़े अधिकारियों का नाम होने की वजह से फिलहाल विजिलेंस बेहद बारीकी के साथ इन्वेस्टिगेशन को आगे बढ़ा रही है।

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