बनभूलपुरा रेलवे प्रकरण पर सुप्रीमकोर्ट में पौन घंटे बहस, सकपका गया रेलवे का इंजीनियर, कोर्ट ने कहा-विस्थापन का प्लान बताओ…. निर्णायक हो सकती है अगली तारीख, (विस्तृत खबर पढ़िये)
azadkalam हल्द्वानी के बहुचर्चित रेलवे, राज्य सरकार बनाम बनभूलपुरा प्रकरण में बुधवार को सुप्रीमकोर्ट में बेहद अहम सुनवाई हुई। करीब पौन घंटे बहस चली। 11 जनहित याचिकाओं पर जस्टिस सूर्यकांत, उज्जल भुयान, दिपांकर दत्ता की बैंच ने सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकीलों में दिग्गज अधिवक्ता सलमान खर्शीद, सिद्धार्थ लूथरा, कॉलिन गॉन्जालवेज ने पक्ष रखा।
पिछली सुनवाई 12 जुलाई को हुई थी जिसमें सर्वाेच्च न्यायालय ने राज्य सरकार व रेलवे से प्लान मांगा था। अगली सुनवाई अब 11 सितंबर को होगी।
सूत्रों के अनुसार आज हुई सुनवाई में सुप्रीमकोर्ट में राज्य सरकार तथा रेलवे ने अपना पक्ष रखा। रेलवे ने कहा कि उन्हें वंदे भारत ट्रेन के लिए जगह चाहिए। स्टेशन का भी विस्तार करना है। लेकिन तीनों जजों ने जब पूरा प्लान मांगा और रेलवे के इंजीनियर से इस बारे में ज्यादा डिटेल और रेलवे के दावे वाली ज़मीन के दस्तावेज़ मांगे तो रेलवे के इंजीनियर संतोषजनक दस्तावेज़ तथा फोटो कोर्ट में नहीं दिखा पाए।
रेलवे की ओर से कोर्ट में कहा गया कि उन्हें फिल्हाल थोड़ी जगह से अतिक्रमण हटाने दिया जाए। लेकिन कोर्ट ने कहा नहीं-नहीं पूरी योजना बताओ।
कोर्ट ने रेलवे, राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार से यह पूछा है कि कितनी ज़मीन चाहिए, किस खेत खसरा में कितने लोग प्रभावित होंगे और उनके विस्थापन का क्या प्लान है।
सर्वाेच्च न्यायालय ने रेलवे से कहा कि आपको ज़मीन की ज़रत है तो जनहित याचिका का सहारा क्यों ले रहे हो जिसपर रेलवे की ओर से जवाब दिया गया कि स्थानीय एडमिनिस्ट्रेशन उनकी बात नहीं सुनता।
जानकारों की मानें तो आज की बहस इस पूरे मामले के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अगली सुनवाई 11 सितंबर को है और वो इस सुनवाई से भी बेहद अहम हो सकती है। हो सकता है कि अगली सुनवाई पर यह पूरा मामला की सुलट जाए।
सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी रेलवे के मामले सुनवाई के दौरान न्यायलय ने मानवता को सर्वाेपरी रखते हुए रेलवे से योजना का प्लान और उससे पीड़ित होने वालों की संख्या व जगह का चिन्हित खसरा सहित मांगा है व उनके पुनर्वास का प्लान सम्बंधी बात कही। हमें उम्मीद है कि सर्वोच्च अदालत से पफैसला बनभूलपुरा की जनता के हक में ही आएगा।
शराफत खान
पिटिशनर
यदि रेलवे गौला नदी की ओर से बनने वाली रिटाइनर वाल को सही से बनवा दे तो पिफर कहीं भी रेलवे को भूमि की जरूरत नहीं है। रेलवे व प्रदेश सरकार को भी माननीय उच्चतम न्यायालय की भांति मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए गरीब जनता के हित में निर्णय लेने चाहिए। मात्रा एक रिटर्निग वाल बनने से ही सारी समस्या का हल निकल सकता है। जिसके बनने के बाद ना तो रेलवे स्टेशन को कोई खतरा होगा और ना ही किसी के आशियानों को उजाड़ने की ज़रूरत पड़ेगी।
अब्दुल मतीन सिद्दीकी, पिटिशनर