उत्तराखण्ड में पंचायत चुनाव का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने हटाया स्टे

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नैनीताल, 23 जून – उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में पंचायत चुनावों पर लगी अस्थायी रोक (स्टे) हटा ली है। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने यह आदेश जारी करते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है, जबकि चुनाव आयोग को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव कराने का निर्देश दिया गया है।

सुनवाई का विवरण:

  • याचिका बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल द्वारा दाखिल की गई थी, जिनकी ओर से अधिवक्ता शोभित सहारिया ने पक्ष रखा।

  • सुनवाई के दौरान पंचायत चुनावों में आरक्षण और प्रक्रिया में बदलाव को लेकर लगभग 40 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।

  • याचिकाएं हर्ष प्रीतम सिंह, गंभीर सिंह चौहान, कवींद्र इस्तवाल, रामेश्वर, मो. सुहेल, सहित अन्य की थीं, जिन्हें मूल याचिका से जोड़कर सुना गया।

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आरक्षण को लेकर सवाल:

  • अधिवक्ता आदित्य सिंह ने डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में पंचायतों में आरक्षण के अनुपात पर आपत्ति जताई, खासकर 63% सीटें आरक्षित होने पर सवाल उठाया।

  • कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि महिलाओं को 33% आरक्षण वर्गवार दिया जाता है, और शेष आरक्षण अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए होता है।

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कोर्ट की टिप्पणी:

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हम सभी याचिकाओं को मेरिट के आधार पर सुनेंगे।” इसके साथ ही 25 जून से शुरू होने वाले पंचायत चुनावों को सामान्य प्रक्रिया के तहत कराए जाने की अनुमति दी गई है।

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