पढ़िये वरिष्ठ साहित्यकार ध्रुव गुप्त का दिलचस्प लेख: ‘दूसरी दुनिया की वह औरत’

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भारत सहित दुनिया भरके साहित्य, लोककथाओं धार्मिक ग्रंथों में दूसरे लोक के प्राणियों से मनुष्यों की मुलाकातों और उनके साथ प्रेम, यौन संबंध और विवाह के उल्लेख मिलते हैं। यह माना जाता रहा है कि ऐसे तमाम किस्से हम मनुष्यों की उर्वर कल्पनाशक्ति की उपज मात्र हैं। लेकिन बारहवीं सदी के इंग्लैंड में एक कुछ ऐसी अविश्वसनीय घटना घटी जिसने पारलौकिक प्राणियों के बारे में बहुत सारे लोगों की सोच बदल कर रख दी। हेनरी द्वितीय के शासनकाल में इंग्लैंड के मेरी डी उल्पिट्स नामक स्थान पर एक दिन गहरी हरी त्वचा वाले एक युवक और एक युवती भटकते हुए देखे गए थे। उस सदी के विख्यात संत विलियम ऑफ न्यूवर्ग ने अपनी प्रसिद्ध कृति ‘हिस्तोरिया रेरम एंगलिकैरम’ में उस घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि मनुष्यों जैसे अंगों, लेकिन गहरी हरी त्वचा वाले उन दोनों के कपडे विचित्र और कुछ अलग पदार्थ से बने थे। किसान उन्हें पकड़कर उस गांव के प्रधान के यहां ले गए। वहां कुछ अरसे तक रहने के बाद उन दोनों की त्वचा का रंग तेजी से बदलने लगा। युवक कुछ महीनों बाद बीमार होकर मर गया। युवती बची रह गई। उसके अलौकिक सौंदर्य की चर्चा फैली तो लीन के राजा ने उसके साथ शादी कर ली।

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अंग्रेजी बोलना सीख लेने के बाद उस युवती ने बताया कि एक दूसरी दुनिया के वे भाई-बहन एक दिन घूमते हुए एक गुफा में प्रवेश कर गए थे। गुफा से उठती घंटियों की सुरीली आवाज़ का पीछा करते हुए वे न जाने कैसे इस अपरिचित सी दुनिया में पहुंच गए। वापस लौट जाने के लिए उन्होंने उस गुफा-द्वार की बहुत तलाश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। अपनी दुनिया के बारे में उसने बताया कि वहां इस दुनिया जैसा प्रकाश नहीं है। वहां की रौशनी सौम्य और शीतल होती है। उस दुनिया के निकट एक प्रकाशवान दुनिया भी है लेकिन बीच में अगम्य नदी होने के कारण कोई वहां जा नहीं पाता। संत विलियम न्यूवर्ग के अलावा राल्फ ऑफ कॉगशेल’, जारवेस ऑफ टिलबरी तथा आगस्तियन न्यूबर्ग ने भी अपनी कृतियों में इस घटना का ज़िक्र करते हुए कहा है कि उनकी तार्किक समझ पहले इस बात को मानने को तैयार नहीं थी, लेकिन घटना के प्रामाणिक साक्ष्यों ने पारलौकिक विषयों पर उनकी दृष्टि बदल दी।

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हमारी सृष्टि ऐसे असंख्य रहस्यों से भरी पड़ी है जहां तक अभी विज्ञान की पहुंच नहीं है। प्राचीन काल से आजतक लोगों ने दुनिया के हर कोने में उड़न तश्तरियां और एलियन देखने और उनसे मिलने के अपने अनुभव गुफा चित्रों, लेखन, फोटोग्राफ के माध्यम से साझा किए हैं। हमारे कुछ योगियों ने इस पृथ्वी पर ऐसे कुछ रहस्यमय क्षेत्रों का ज़िक्र किया है जिनमें प्रवेश कर पलक झपकते ब्रह्मांड के किसी भी कोने तक पहुंचा जा सकता है। विज्ञान की भाषा में अब ऐसे क्षेत्र को वर्महोल कहा जाता है।अब जब हमारे वैज्ञानिक ऐसी पारलौकिक चीजों की तह तक पहुंचने में दिलचस्पी लेने लगे हैं तो हमें उम्मीद करनी चाहिए कि निकट भविष्य में हमारी जैसी कई दूसरी दुनियाओं के अस्तित्व और वहां तक पहुंचने के शॉर्टकट रास्तों का सच भी हमारे सामने आएगा।

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