बात सेहत की- हम जिस मिटटी से बने हैं उसी में हमारे जिस्म का बेहतरीन इलाज मौजूद है

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जमीन से डायरेक्ट जुड़े रहना सेहत और तंदरुस्ती के लिए ज़रूरी है।

ज़मीन से डायरेक्ट ताल्लुक़ के बग़ैर बेहतरीन जिस्मानी, ज़हेनी और रूहानी सेहत का अनुभव करना संभव नहीं।

ज़मीन से जुड़े ना रहना सबसे अधिक बीमारी और पीड़ा का मूल कारण है।

सभी जानवरों की तरह, इंसान के पास एक जिस्म है जिसे बेहतरीन सेहत, संतुलन, विषहरण, शक्ति, ऊर्जा और ज़िन्दगी की ताक़त के लिए ज़मीन के साथ डायरेक्ट कांटेक्ट की ज़रूरत होती है।

ज़मीन एक बड़ी बैटरी है जो हमेशा ऊर्जा के लिए जीवन शक्ति का उत्सर्जन करती है। यह ऊर्जा पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखती है और उसका पोषण करती है।

इंसान को जानबूझकर पृथ्वी की ऊर्जा से अलग कर दिया गया है, ताकि हमें शक्तिहीन किया जा सके और हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से बीमार बनाया जा सके।

ज़मीन से जुड़ना ऊर्जा में बढ़ोतरी, बेहतर नींद, प्रतिरक्षा, त्वरित चिकित्सा, दर्द में कमी, कम चिंता का कारण बनता है।

कम से कम 20 मिनट रोज़ाना, अगर ज़्यादा हो तो बेहतर है.. ज़मीन को अपना दर्द, डर, बोझ दे दो,

हम जिस मिटटी से बने है उसी में हमारे जिस्म का बेहतरीन इलाज मौजूद है।

साभार-‘फेसबुक पर इलियास मखदूम की पोस्ट’

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