योगी आदित्यनाथ पर भड़काऊ भाषण मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया
आज़ाद क़लम:- बता दें कि योगी आदित्यनाथ पर साल 2007 में भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा था, जब वे गोरखपुर के सांसद थे. 27 जनवरी, 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था. इस दंगे में दो लोगों की मौत और कई लोग घायल हुए थे. इस दंगे के लिए योगी आदित्यनाथ, उस दौरान विधायक रहे राधा मोहन दास अग्रवाल और गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी पर भड़काऊ भाषण देने और दंगा भड़काने का आरोप लगा था. आरोप था कि इनके भड़काऊ भाषण के बाद ही दंगा भड़का था. इस दौरान अंजू चौधरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने काफी दिनों तक मामले की जांच पर रोक लगा दी थी, ये रोक 2008 से 2012 तक रही. 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने स्टे वापस ले लिया था.
फिर 2017 में यूपी में बीजेपी की सरकार बनी और मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ. नई सरकार बनने के बाद इस मामले में मुकदमा दायर करने पर रोक लगा दी गई थी. यूपी सरकार ने योगी आदित्यनाथ को अभियुक्त बनाने से ये कहकर मना कर दिया था कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी साल 2018 में उस याचिका को ही खारिज कर दिया था, जिसमें दंगों में योगी की भूमिका की जांच कराए जाने की मांग की गई थी.
इस मामले में योगी पर मुकदमे की इजाजत न देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. आजतक की सृष्टि ओझा की रिपोर्ट के मुताबिक चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 24 अगस्त को ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.