उत्तराखंड- दरोगा, दो सिपाहियों को अनोखी सज़ा, शमशान घाट में करना पड़ेगा ये काम….
अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के रामपुर में तैनात सीओ को सीएम योगी आदित्यनाथ ने दरोगा पड़ पर डिमोशन कर दिया था। ये अनोखी सज़ा थी। यहां उत्तराखंड में भी लापरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मियों को एसएसपी ने ऐसी अनोखी सज़ा सुनाई है जिसकी खूब चर्चा हो रही है।
रुड़की के रामनगर गली नंबर एक निवासी हरीश चांदना 20 अक्तूबर को लापता हो गए थे। लापता होने पर उनकी पत्नी ने गंगनहर कोतवाली में शिकायत की थी। बताया था कि उनके कमरे से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था, लेकिन इस मामले में गंगनहर कोतवाली पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज नहीं की थी। 29 अक्तूबर को परिजनों को पता चला था कि सिविल अस्पताल में हरीश चांदना का पोस्टमार्टम हुआ है।
परिजन सिविल अस्पताल पहुंचे तो कपड़ों से शिनाख्त की। जहां पता चला था कि लापता होने के तीन दिन बाद रहीमपुर रेलवे फाटक के पास हरीश का शव मिला था, लेकिन शिनाख्त न होने पर पुलिस ने 72 घंटे बाद लावारिस में अंतिम संस्कार कर दिया था।
इसके बाद पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज की थी। इस मामले की जांच एसएसपी अजय सिंह ने एसपी देहात एसके सिंह को सौंपी थी। एसपी देहात ने परिजनों और कोतवाली स्टाफ के बयान दर्ज किए थे। जांच में सामने आया कि पुलिसकर्मियों में परस्पर संवाद की कमी थी और अज्ञात शव की पहचान के लिए पर्याप्त प्रयास न करने व अनजाने में लापरवाही बरती गई है।
जांच में दरोगा नवीन सिंह और सिपाही चेतन सिंह व संतोष को दोषी पाया गया। इस पर एसएसपी ने तीनों को 14 और 15 नवंबर को हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट, सती घाट व चंडीघाट श्मशान पर आठ-आठ घंटे मौजूद रहकर आने वाले शवों के शवदाह में सहयोग करने की सजा सुनाई है, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही की पुनरावृत्ति न हो सके।