रीढ़ की हड्डी में टीबी के गंभीर मरीजों के लिए खुशखबरी, हल्द्वानी के इस सरकारी अस्पताल में कराएं इलाज
आज़ाद क़लम हल्द्वानी। रीढ़ की हड्डी में टीबी के गंभीर मरीजों के लिए खुशखबरी। टीबी व श्वांस रोग विभाग और अस्थि रोग विभाग के चिकित्सकों की पहल से विगत 2 वर्ष से कमर दर्द से पीडि़त व 15-20 दिनों से चलने में असमर्थ मरीज सफल ऑपरेशन के बाद चल-फिर सकता है। राजकीय मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी का अस्थि रोग विभाग जटिल ऑपरेशन सफलतापूर्वक कर नित नये आयाम स्थापित कर रहा है, इसी क्रम में लगभग 2 वर्ष से कमर दर्द से पीडि़त डालकन्या ओखलकांडा निवासी मरीज की रीढ़ की हड्डी में टीबी का अत्यन्त जटिल ऑपरेशन सफलतापूर्वक कर मरीज व परिजनों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी है।
डालकन्या ओखलकांडा निवासी 53 वर्षीय चन्द्रशेखर पनेरू विगत 2 वर्ष से कमर दर्द से पीडि़त था। सरकारी व निजी चिकित्सालय में उपचार के लिए गया, परंतु आराम न मिलने के कारण तथा रिपोर्ट में टीबी की आशंका के चलते वह राजकीय मेडिकल कॉलेज के टीबी व श्वांस रोग विभाग में पहुंचा, जिसका उपचार विगत एक माह से टीबी व श्वांस रोग विभाग में चल रहा था। टीबी व श्वांस रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. आरजी नौटियाल व डा. अंशुल केडि़या ने मरीज को सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के अस्थि रोग विभाग में परामर्श के लिए भेजा, चिकित्सकों द्वारा संपूर्ण आवश्यक जांच करायी व चिकित्सकीय परीक्षण किया जिसमें उक्त रोगी में रीढ़ की हड्डी में टीबी की पुष्टि हुई, जिसके चलते नसों में कमजोरी की वजह से विगत 15-20 दिनों से मरीज चलने में असमर्थ था। अस्थि रोग विभाग के चिकित्सकों द्वारा उक्त रोगी को सर्जरी की सलाह दी गयी, अस्थि रोग विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर डा0 गणेश के दिशा-निर्देशन में स्पाईन विशेषज्ञ डा0 नवीन अग्रवाल व डा0 ईश्वर ने एनेस्थिसिया विभाग के सहयोग से रीढ़ की हड्डी में टीबी का जटिल ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया। अभी रोगी स्वस्थ है, और स्वास्थ्य लाभ कर रहा है। मरीज व परिजनों ने हर्ष जताते हुए डा0 नवीन अग्रवाल व टीम का आभार जताया है।
डा0 अरूण जोशी प्राचार्य राजकीय मेडिकल कॉलेज व टीबी व श्वांस रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा0 आर0जी0 नौटियाल व अंशुल केडि़या ने अस्थि रोग विभाग के डा0 गणेश सिंह एसोशिएट प्रोफेसर व विभाग की टीम को जटिल ऑपरेशन सफलता पूर्वक करने पर बधाई देते हुए कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर व कुमाऊ क्षेत्र के दूरस्थ गांवों के वो मरीज जो बड़े-बड़े शहरों में नही जा सकते, ऐसे टीबी व श्वांस रोगियों एवं रीढ़ की हड्डी में टीबी के गंभीर मरीजों को सस्ता व बेहतर उपचार चिकित्सालय में मिल रहा है।