“पंचायत” के प्रहलाद चा कौन है यह कहां से आये हैं जानिए सबकुछ यहां

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आज़ाद कलम :-‘पंचायत’ में ‘प्रहलाद चा’
‘पंचायत’ के प्रहलाद चा यानी फैसल मलिक। यह नाम पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में है। हो भी क्यों न, पंचायत के तीसरे सीजन में अपनी संजीदा अदाकारी से इन्होंने सबका दिल जीत लिया है। गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्म में चंद मिनट का रोल करने वाले फैसल मलिक आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। हालांकि सफलता की सीढ़ी इन्होंने आसानी से नहीं चढ़ी है। इसके लिए इन्हें काफी स्ट्रगल भी करना पड़ा है।

फैसल मलिक का जन्म इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। बचपन के दिनों के बारे में फैसल ने बताया, ‘आम बच्चों की तरह मेरा बचपन भी सामान्य बीता। कभी नहीं सोचा था कि बड़ा होकर एक्टर ही बनूंगा।

फैसल ने कहा कि मुंबई आने के बाद उन्हें रहने-खाने की सबसे ज्यादा दिक्कत हुई थी। खाने को पैसे नहीं होते थे। किसी तरह एक टाइम के खाने का जुगाड़ हो जाता था। खाने में खूब मिर्ची भर देते थे और कई गिलास पानी पी लेते थे, जिससे कि कम खाने में ही पेट भर जाए।

फैसल ने बताया कि फिल्मों में आने से पहले वे एक टीवी चैनल में बतौर वीडियो एडिटर कार्यरत थे। उनसे 20-20 घंटे काम कराया जाता था। एक बार पैर टूटने के बावजूद वे काम करते रहे थे।

फिल्में देखना बहुत पसंद था, लेकिन परिवार वालों को मेरी यह आदत बिल्कुल रास नहीं आती थी। इस कारण मैं छिप-छिप कर फिल्में देखता था। कई बार तो मेरी यह चोरी पकड़ी भी गई, मार भी बहुत पड़ी। कई दफा मार खाने के बाद भी फिल्में देखना बंद नहीं किया।’

फैसल ग्रेजुएशन पूरी करने से पहले ही मुंबई जाकर एक्टर बनना चाहते थे, लेकिन घरवाले उनके फैसले के खिलाफ थे। इस बात को लेकर घरवालों से बहुत ज्यादा बहस भी हुई। तब इस कंडीशन में बड़े भाई ने उनका साथ दिया और मुंबई स्थित अपने दोस्त के यहां फैसल को भेज दिया। बाद में मां और पिता भी उन्हें सपोर्ट करने लगे।

फैसल कहते हैं, ‘मैं 22 साल की उम्र में मुंबई आया। यहां मुंबई का एक एरिया में भाई के दोस्त के घर में रहता था। शुरुआत में तो सबको लगता है कि मुंबई आने पर महानायक अमिताभ बच्चन ही बन जाएंगे। हालांकि यहां रहने के बाद असलियत पता चलती है।

मुंबई पहुंचने के बाद मैं किशोर नमित कपूर एक्टिंग इंस्टीट्यूट में एक्टिंग कोर्स करने लगा। हालांकि 3 महीने बाद ही एहसास हो गया कि ये आसान दिखने वाला काम बिल्कुल भी आसान नहीं है। फीस से लेकर रहने और खाने का भी इंतजाम करना था। घर से ज्यादा पैसे मांगना सही नहीं लगा। इस वजह से मैंने कुछ काम करने का फैसला किया।’

फैसल ने बताया कि जब वे मुंबई आए थे, तब अब्बू उन्हें हर महीने का खर्च भेजते थे, लेकिन इलाहाबाद की तुलना में मुंबई का खर्च बहुत ज्यादा था। वे लंबे समय तक अब्बू पर बोझ नहीं बनना चाहते थे, इसलिए उन्होंने कमाना शुरू कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले मैंने सहारा इंडिया में बतौर टेप लॉगिन करने का काम किया जिसे आमतौर पर इंटर्न करते हैं। यहां मुझे सबसे निचले स्तर का काम मिला था। इस काम के दौरान मुझे सैकड़ों वीडियो टेप से घंटों मेहनत करके कुछ खास तरीके के विजुअल निकालने होते थे। फिर कुछ समय बाद मैं रात में दोस्त की मदद से एडिटिंग सीखने लगा।

2-3 महीने में पूरा काम सीख लिया था। एक दिन खुद से प्रोमो कट किया। एडिट किया और सर को दिखाया। मेरा काम देख वो बहुत खुश हुए और टेप चिपकाने की जगह प्रोमो कट करने का काम मिल गया।

पहली सैलरी मुझे 700 रुपए प्रति महीना मिलते थे, फिर 1300 रुपए और बाद में 3200 रुपए प्रति महीना मिलने लगे। सहारा में काम करने के बाद जी सिनेमा और स्टार वन में भी काम किया था।

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