11 साल पुरानी भीभत्स घटना को लेकर हल्द्वानी में सड़क पर फिर क्यों उतरा जनसैलाब ? लाडली को इंसाफ क्यों नहीं मिला ?

हल्द्वानी। दस साल पहले हल्द्वानी के काठगोदाम-शीशमहल क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना होती है, लेकिन दरिंदगी के दोषियों को सज़ा नहीं मिलती और नन्ही कली को इंसाफ नहीं मिल पाता।
लाडली हत्याकांड के आरोपी के सुप्रीम कोर्ट से बरी होने के बाद आक्रोश का चिंगारी फिर सुलग गई है। पिथौरागढ़ में आंदोलन व प्रदर्शन के बाद गुरुवार को हल्द्वानी की सड़क पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। बुद्धपार्क में जनसभा कर लोगों ने आक्रोश जताया। इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय तक जुलूस की शक्ल में पहुंचकर नारेबारी कर मांगपत्र सौंपा। लोगों ने इस मामले में सरकार से पुर्नविचार याचिका दायर करने की मांग की।
गुरुवार को दोपहर ढाई बजे बुद्धपार्क में कुमाऊं के लोक गायकों, कलाकारों व पहाड़ी आर्मी के आह्वान पर लोगों के जुटने का सिलसिला शुरू हुआ। साढ़े तीन बजे तक बुद्धपार्क लोगों से खचाखच हो गया। जिसके बाद जनसभा हुई। जनसभा को संबोधित करते हुए पहाड़ी आर्मी के संयोजक हरीश रावत ने कहा कि 11 साल पहले पिथौरागढ़ से लाडली हंसी खुशी अपने परिजनों के साथ शादी समारोह में शामिल होने के लिए हल्द्वानी आई थी। रात को उसका अपहरण व हत्या कर दी गई थी। जिसका विरोध हल्द्वानी से लेकर पूरे कुमाऊं में हुआ। इस मामले में अख्तर अली नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया गया।
हाईकोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे बरी कर दिया है। जिससे लाडली के परिजनों के साथ कुमाऊं के हर एक व्यक्ति की भावनाएं आहत हुई हैं। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ज्योति ने कहा कि अब समय आ गया है कि दुष्कर्म करने वाले आरोपी को हम लोग ही सजा दिलाएं। लाडली हत्याकांड के आरोपी के छूट जाने पर कानून व्यवस्था से लोगों का विश्वास उठ गया है। मेघा जोशी ने कहा कि हमें बेटियों को पराठे बनाने के साथ अब कराटे सिखाने का समय आ गया है। ताकि वह अपने अधिकारों के लिए लड़ सके।
लोगों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस व खुफिया एजेंसियों के हाथ पैर फूलने लगे। पुलिस ने आक्रोशित लोगों को बताया कि सिटी मजिस्ट्रेट गोपाल सिंह चौहान ज्ञापन लेने के लिए बुद्धपार्क पहुंच रहे हैं तो लोग नहीं माने। भीड़ ने जुलूस निकालने की तैयारी की लेकिन पुलिस ने गेट बंद कर उन्हें रोकने का प्रयास किया। जिससे लोग भड़क गए। पहाड़ी आर्मी के संयोजक हरीश रावत गेट के ऊपर चढ़े और उसे फंदकर बाहर आ गए। जिसके बाद पुलिस को मजबूरन गेट खोलना पड़ा। इस दौरान भीड़ की पुलिस के साथ धक्का-मुक्की हुई। साथ ही बाहर निकलीं कुछ महिलाएं सड़क पर धरने पर बैठ गईं।
आक्रोश रैली में यह लोग रहे शामिल
हरीश रावत, विधायक सुमित हृदयेश, कांग्रेस नेता व राज्य आंदोलनकारी ललित जोशी, लोक कलाकार, श्वेता महरा, इंदर आर्या, प्रियंका महरा, गोविंद दिगारी, ज्योति अधिकारी, प्रमोद बोरा, कविता जीना, पार्षद शैलेन्द्र दानू, प्रेमा मेर, पुष्कर महरा, कृष्णकांत कफल्टिया, इंद्रजीत सिंह बिष्ट, तारा सिंह, रेखा बिष्ट, गीता देवी, मुन्नी बिष्ट, अंजू पांडे, दीपा मिश्रा, कंचन रौतेला, सुभाष आर्या, लीला भंडारी, भूपेन्द्र सिंह, जीएस रौतेला, हरेन्द्र राणा, गोकुल महरा, राकेश खनवाल, कमल महरा, पवन पहाड़ी, गौरव रावत, पीयूष नेगी, भूपेश जोशी, विनोद शाही, भगवान सिंह राणा, जोगिंदर राणा, योगिता बनौला, विनोद कार्की, हिमांशु कबड़वाल।


