‘आप बुलडोजर चला कर सब कुछ खत्म नहीं कर सकते’…अजमेर शरीफ दरगाह में ढांचे गिराने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को अजमेर शरीफ दरगाह के अंदर या आसपास किसी भी ढांचे को गिराने से फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि इससे पहले प्रभावित पक्षों को सुनवाई का अवसर दिया जाए और नेचुरल जस्टिस के सिद्धांतों का पालन किया जाए।
जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा-आप सिर्फ बुलडोजर चला कर सब कुछ खत्म नहीं कर सकते। उन्होंने यह भी कहा कि दरगाह परिसर में ढांचे गिराने से पहले सभी संबंधित लोगों को कारण बताओ नोटिस दिया जाना चाहिए।
यह मामला दरगाह के खादिम सैयद मेहराज मियां की याचिका पर था, जिसमें उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया था कि केंद्र के अल्पसंख्यक मंत्रालय और दरगाह कमेटी के नाजिम को 22 नवंबर के आदेश को वापस लेने का निर्देश दिया जाए। आदेश में कहा गया था कि दरगाह परिसर के अंदर और बाहर स्थित कई स्थायी और अस्थायी ढांचे गिराए जाएं, जिनमें खादिमों की सीटें भी शामिल थीं।
याचिकाकर्ता के वकील, सीनियर एडवोकेट शादान फरासत और एडवोकेट चयन सरकार ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि जिन ढांचों को गिराने की बात की जा रही है, वे अतिक्रमण नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दरगाह का प्रबंधन फिलहाल सरकार द्वारा नियुक्त नाजिम कर रहे हैं, जो ऐसे आदेश जारी करने का अधिकारी नहीं हैं।
वहीं, केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए स्थायी वकील अमित तिवारी ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने अस्थायी ढांचे बनाए हैं और नाजिम के पास सभी आवश्यक शक्तियां हैं।
इस बीच, दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को 6 नवंबर को दिए गए आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सरकार को अजमेर शरीफ दरगाह कमेटी का गठन तीन महीने के अंदर करना था, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश देते हुए कहा कि बिना उचित नोटिस जारी किए कोई भी निर्माण हटाने का कदम नहीं उठाया जा सकता।
कोर्ट ने आगे कहा कि दरगाह कमेटी के गठन में तेजी लाई जाएगी और इस मामले में अगली सुनवाई 23 फरवरी, 2026 को होगी।




