फंस ना जायें माननीय: उत्तराखंड के इन चार विधायकों के निर्वाचन को Highcourt में चुनौती, गलत तथ्य दरशाने का आरोप, तलब
मामला नम्बर-1
नैनीताल। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने मंगलौर हरिद्वार से बसपा के विजयी प्रत्याशी सरवत करीम अंसारी के चुनाव को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की। न्यायमुर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद विजयी विधायक सहित हारे हुए प्रत्याशी दिनेश सिंह पंवार,नवनीत कुमार, काजी मोहम्मद मोनीस, सरत पांडे, वीरेंद्र सिंह ,अनिक अमहद, उबेदुर रहमान ,राजवीर सिंह सतीश कुमार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 7 जून की तिथि नियत की है। मंगलौर से कांग्रेस के हारे हुए प्रत्याशी काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर कर कहा है कि वर्तमान विधायक सरवत करीम अंसारी द्वारा विधानसभा 2022 के चुनाव में उनके द्वारा नामांकन के दौरान जो शपथ पत्र पेश किया गया उसमें उन्होंने कई तथ्य छुपाने के साथ ही अपनी सम्पत्तियों का सही ब्यौरा पेश नही किया गया। उन्होंने शपथपत्र में अपनी व अपनी पत्नी की आय गलत दर्शायी है, इनकम टैक्स का सही विवरण नही दिया है। शैक्षणिक प्रमाण पत्र भी गलत पेस किये है और अपनी सम्पति के गलत आंकड़े शपथपत्र में पेश किए है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि सर्वत अंसारी द्वारा शोसल मीडिया पर झूठ फैला कर लोगो को गुमराह किया है। इस लिए उनके चुनाव को निरस्त किया जाये।
मामला नम्बर-2
नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने खानपुर से निर्दलीय विधायक चुने गए उमेश कुमार उर्फ उमेश शर्मा के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद न्यायमुर्ति सरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने उमेश शर्मा को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखने को कहा है। मामले मि अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की तिथि नियत की है। मामले के अनुसार देवकी कलां लक्सर निवासी वीरेंद्र कुमार ने खानपुर के विधायक उमेश शर्मा के नामांकन में दिए गए शपथ पत्र में कई तथ्य छुपाने का आरोप लगाया है। याचिका में उमेश शर्मा के खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन 29 आपराधिक मामलों की सूची देते हुए कहा है कि उमेश शर्मा ने केवल 16 मामलों की सूची ही शपथ पत्र के साथ निर्वाचन अधिकारी के समक्ष पेश की है जबकि मुख्य अपराधों को छुपाया गया है । याचिका में यह भी कहा गया है कि उनके द्वारा वोटरों को प्रभावित करने के लिए पुलिस के साथ मिलकर पैंसे बाटे गए। इसलिए उनके चुनाव को निरस्त किया जाय।
मामला नम्बर-3
नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पूर्व विधान सभा अध्यक्ष व ऋषिकेश से वर्तमान विधयाक प्रेमचन्द्र अग्रवाल द्वारा चुनाव प्रक्रिया के दौरान विवेकाधीन राहत कोष से पैंसे निकालकर डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से लोगो को बांटे जाने के खिलाफ दायर चुनाव याचिका पर सुनवाई की। न्यायमुर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए प्रेमचन्द्र अग्रवाल, जिला अधिकारी देहरादून, एसडीएम/रिटर्निंग ऑफिसर रिषकेश, चीफ इलेक्शन कमीशन उत्तराखंड, सहित हारे हुए प्रत्याशी अनूप सिंह राणा, कदम सिंह बालियान, कनक धनई, जगजीत सिंह, बबली देवी, मोहन सिंह, राजे सिंह नेगी, सजंय श्रीवास्तव, उषा रावत व संदीप बस्नेत को नोटिस जारी कर छः सप्ताह के भीतर जवाब पेस करने को कहा है साथ मे कोर्ट ने चुनाव आयोग भारत सरकार से भी जवाब पेस करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 25 मई की तिथि नियत की है। मामले के अनुसार ऋषिकेश निवासी जयेंद्र चंद्र रमोला ने चुनाव याचिका दायर कर कहा है कि प्रेमचन्द्र अग्रवाल ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान विवेकाधीन राहत कोष से करोड़ो रुपया निकालकर लोगो को डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से बाटा है। ये डिमांड ड्राफ्ट उनके द्वारा सबूतों के तौर पर अपनी याचिका में लगाये गए है। इस मामले की जाँच की जाय और जाँच सही पाए जाने पर उनका चुनाव निरस्त किया जाय।
मामला नम्बर-4
नैनीताल। हाई कोर्ट ने लोहाघाट चंपावत से कॉंग्रेस के विधायक खुशाल सिंह के चुनाव को चुनोती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद न्यायमुर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने विधायक
खुशाल सिंह सहित चीफ इलेक्शन कमीशन उत्तराखंड , डिस्ट्रिक्ट रिटर्निंग ऑफिसर हारे हुए प्रत्याशी राजेश सिंह बिष्ठ, धीरज लटवाल, प्रकाश सिंह, हिमेश,निसार खान को नोटिस जारी कर छः सप्ताह में जवाब पेस करने को कहा है। मामले के अनुसार लोहाघाट से हारे हुए प्रत्याशी पूरन सिंह फरतियाल ने कॉंग्रेश के जीते हुए प्रत्याशी खुशाल सिंह के चुनाव को उच्च न्यायलय में चुनाव याचिका दायर कर चुनोती दी है। उन्होंने अपनी चुनाव याचिका में कहा है कि विधायक ने अपना नांकमन 24 जनवरी किया और शपथपत्र 28 जनवरी को बनाकर जमा किया है। जो नियमो के विरुद्ध है।जिस दिन नामांकन किया जाता है उसी दिन शपथपत्र भी जमा किया जाना था। चुनाव याचिका में यह भी कहा गया है कि विधायक प्रथम श्रेणी का ठेकेदार भी है जिसके वर्तमान समय मे दस से अधिक ठेके चल रहे है यही नही निवार्चित जाने के बाद भी 31 मार्च को विधायक ने सरकारी ठेका लिया है। इस आधार पर इनका चुनाव निरस्त किया जाय।