जनरल शहनवाज खान: जिन्होंने लाल किले से ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर फहरा दिया था पहला तिरंगा
भारतीय इतिहास में कई वीर सपूत हुए जिनके साहस की कहानियां हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को सुनाते हैं। लेकिन इन्हीं वीर सपूतों में कुछ ऐसे भी होते हैं जिन पर देश को हमेशा गर्व तो रहता है लेकिन लोगों तक इनकी वीर गाथा पहुंच नहीं पाती। आजाद हिंद फौज के पहले मेजर जनरल शाहनवाज खान एक ऐसा ही नाम हैं। मेजर जनरल शाहनवाज खान की गिनती सुभाष चंद्र बोस के बेहद करीबियों में की जाती है। वो 1952 से 1971 तक लगातार चार बार मेरठ से सांसद रहे। खान को उस घटना के लिए भी याद किया जाता है जब उन्होंने लाल किले से ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर भारतीय तिरंगे को फहरा दिया था। खान का जन्म 24 जनवरी 1914 को रावलपिंडी के मटौर गांव में हुआ जोकि अब पाकिस्तान में है। उनके पिता सरदार टीका खान ने उन्हें प्यार से बड़ा किया और स्कूल भी भेजा। प्रिंस आफ वेल्स रॉयल इंडियन मिलट्री कॉलेज, देहरादून से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वो 1940 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी का हिस्सा बन गए थे।
जानकार बताते हैं कि वो साल 1943 था जब मेजर जनरल शाहनवाज खान, सुभाषचंद्र बोस के संपर्क में आए और उनसे प्रभावित होकर बाद में आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गए। उनके साथ कई अन्य सैनिक भी नेताजी के साथ आ गए थे। सुभाष चंद्र बोस के संपर्क आने के बाद खान ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसके लिए उन पर राजद्रोह का मुकदमा भी दर्ज हुआ मगर वो पीछे नहीं हटे। उस घटना के बाद उनका नाम सबकी जुबान पर चढ़ गया था, जब उन्होंने आजाद भारत में लालकिले पर अंग्रेजों का झंडा उतारकर तिरंगा फहरा दिया था। देश की आजादी के बाद वो कांग्रेस में शामिल हो गए और मेरठ से लोकसभा चुनाव जीता। 20 से अधिक सालों तक वो केंद्र में मंत्री रहे और अलग-अलग विभागों को देखा। आज भले ही उन्हें कम लोग जानते हैं लेकिन अपनी वीरता के लिए वो हमेशा याद किए जाएंगे।