हल्द्वानी रेलवे प्रकरण: सरकार की नीयत में खोट अदालती फैसले से पहले चोट पर चोट
आज़ाद क़लम:- एक आस जगी थी, वो भी खत्म हो गयी। वाह रे सिस्टम और वाह री सरकार।
मलिन बस्तियों के चिन्हीकरण के पैमाने अलग-अलग हैं। मलिन बस्तियों के सर्वे में हल्द्वानी की पांच मलिन बस्तियों को छोड़ दिया गया है।
नगर आयुक्त ने अपने पुराने आदेश को कैंसिल करते हुए एक नया आदेश जारी किया है
जिसमें मुस्लिम बाहुल क्षेत्र बनभूलपुरा की पांच मलिन बस्तियों को सर्वे की प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है। नगर आयुक्त का कहना है कि ये पांच मलिन बस्तियां रेलवे के अतिक्रमण में हैं। यहां बता दें कि अभी यह साबित नहीं हुआ है कि यहां बसे लोग अतिक्रमणकारी हैं। न्यायिक प्रक्रिया चल रही है। मामले विचाराधीन हैं।
नगर आयुक्त ने एक दिन के लिए सर्वे को रोकते हुए पांच मलिन बस्तियों को सर्वे से हटा दिया है। अब मंगलवार से सर्वे करने के आदेश जारी कर 17 मई तक रिपोर्ट देने को कहा है। सचिव शहरी आवास के निर्देश पर नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने नगर निगम हल्द्वानी की 22 मलिन बस्तियों का सर्वें 18 अप्रैल से शुरू करने के आदेश दिए थे। 18 अप्रैल से सर्वे होना था। इसके लिए नगर आयुक्त ने तीन टीमें बनाई थी। टीम में वन विभाग, रेलवे, सिंचाई, राजस्व और नगर निगम को शामिल किया गया था। इन टीमों को 12 मई 2022 तक सर्वे पूरा कर 17 मई को डीएम को रिपोर्ट सौंपनी थी लेकिन सर्वे शुरू होने से पहले नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने तुरंत इस पर रोक लगाते हुए नए आदेश जारी कर दिए। सर्वे से इन मलिन बस्तियों ढोलक बस्ती, इंदिरानगर पश्चिमी ए, इंदिरानगर पश्चिमी बी, इंदिरानगर पूर्वी, चिराग अली शाह बाबा को हटा दिया गया है। विदित हो कि यह मलिन बस्तियां अल्पसंख्यक बाहुल हैं। जहां पर बहुत बड़ी तादात में आबाद लोग गरीबी रेखा से भी नीचे जीवन यापन करते हैं। एक ओर तो इन लोगों के सामने गरीबी का संकट बना रहता है उपर से रेलवे ने भी इनके उत्पीड़न में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मलिन बस्तियों के सर्वे में इन इलाकों के शामिल होने की खबर के बाद इलाके के लोगों को कुछ उम्मीद बंधी थी कि शायद उनके सिर पर मंडरा रहे परेशानी के बादल खत्म हो जाएंगे लेकिन अफसोस कि ऐसा नहीं हुआ। जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्बियाल का कहना है कि रेलवे और वन भूमि में बसी मलिन बस्तियों का नियमितीकरण नहीं किया जाएगा। यहां फिर याद दिला दें कि इन मलिन बस्तियों में बसे लोगों के वाद विचाराधीन हैं। लोगों का कहना है कि इस इलाके के लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।