जानिए कैसे बनता है पीएम का सिक्योरिटी प्लान, क्या है एसपीजी का ब्लू बुक और एएसएल रिपोर्ट?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 जनवरी बुधवार को पंजाब के बठिंडा एयरपोर्ट पहुंचे थे। मौसम खराब होने की वजह से वो सड़क मार्ग से अपने कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना हुए थे। इस दौरान रास्ते में प्रदर्शनकारियों ने उनका रास्ता रोक लिया। जिसकी वजह से उन्हें वापस दिल्ली लौटना पड़ा। बता दें कि पीएम की सुरक्षा में हुई इस चूक को लेकर गृह मंत्रालय का कहना है कि पंजाब पुलिस ने ब्लू बुक का पालन नहीं किया।
क्या है ब्लू बुक: बता दें कि पीएम के किसी भी दौरे से पहले सुरक्षा की योजना बनाना उनके सिक्योरिटी प्रोटोकॉल का हिस्सा होता है। सुरक्षा में केंद्रीय एजेंसियां और राज्य पुलिस बल शामिल होते हैं। इसको लेकर विशेष सुरक्षा दल(एसपीजी) की ब्लू बुक में व्यापक दिशा-निर्देश निर्धारित होते हैं। जिसके मुताबिक पीएम की सुरक्षा रचना होती है।
कैसे बनता है पीएम का सिक्योरिटी प्लान: पीएम मोदी की पहले निर्धारित की गई यात्रा से तीन दिन पहले, पीएम की सुरक्षा की जिम्मेदारी रखने वाली एसपीजी (विशेष सुरक्षा समूह) एक मीटिंग करता है। जिसमें एडवांस सिक्योरिटी कम्युनिकेशन होता है। इसे एएसएल(Advance Security Liaison) कहते हैं। इसमें पीएम के कार्यक्रम से जुड़े आधिकारिक लोग, संबंधित राज्य में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी, राज्य के पुलिस अधिकारी और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट शामिल होते हैं।
पीएम के कार्यक्रम को लेकर हर बिंदुओं पर चर्चा की जाती है। बैठक खत्म होने के बाद एएसएल रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसके आधार पर सुरक्षा के सारे इंतजाम किए जाते हैं। आम तौर पर पीएम की यात्रा को लेकर तैयारी की जाती है कि प्रधानमंत्री कार्यक्रम तक कैसे पहुंचेंगे (हवाई, सड़क या रेल मार्ग से) और, एक बार जब वह उतरेंगे, तो वे अपने कार्यक्रम स्थल (आमतौर पर हेलीकॉप्टर या सड़क मार्ग से) तक कैसे पहुंचेंगे। केंद्रीय एजेंसियों और स्थानीय खुफिया की तरफ से दी गई जानकारी को भी ध्यान में रखा जाता है। इसमें आयोजन स्थल की सुरक्षा, जिसमें प्रवेश और निकास, कार्यक्रम स्थल पर आने वालों की तलाशी और डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर लगाने जैसे पहलू शामिल होते हैं।
ब्लू बुक के मुताबिक राज्य पुलिस की जिम्मेदारी: एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ब्लू बुक के नियमों के अनुसार एसपीजी के जवान पीएम की सुरक्षा में करीब रहते हैं। लेकिन राज्य पुलिस की भी इसमें अधिक जिम्मेदारी होती है। किसी भी विपरित स्थिति में राज्य पुलिस को पीएम की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आकस्मिक मार्ग तैयार करना होता है। किसी भी तरह के अचानक घटनाक्रम होने पर राज्य की पुलिस एसपीजी को जानकारी देती है। फिर उसी हिसाब से वीआईपी का मूवमेंट बदल दिया जाता है।
क्या है VIP रूट का प्रोटोकॉल: इस तरह के दौरे के लिए हमेशा दो रूट तय होते हैं। रूट की जानकारी किसी को पहले से नहीं होती है। एसपीजी ही रूट का चुनाव करती है। हालांकि एसपीजी इसे कभी भी बदल सकती है। SPG और स्टेट पुलिस में दौरे को लेकर कॉर्डिनेशन रहता है। राज्य पुलिस से तय रूट के लिए क्लियरेंस मांगी जाती है। जिससे पूरा रूट पहले से खाली रखा जाता है। पीएम की सुरक्षा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी की हवाई यात्रा के लिए एक हेलीकॉप्टर को 1,000 मीटर दृश्यता की आवश्यकता होती है। “कई बार सर्दियों के दौरान, पीएम को कोहरे के कारण सड़क मार्ग से जाना पड़ता है। अगर किसी वजह से सड़क मार्ग को क्लियरेंस नहीं मिलती तो राज्य पुलिस इसकी अनुमति नहीं देती है। ऐसे में यात्रा रद्द कर दी जाती है।”
सिविल ड्रेस में एनएसजी के कमांडो: बता दें कि प्रधानमंत्री की कार बुलेटप्रूफ होती है। हमलावरों को गुमराह करने के लिए पीएम के काफिले में दो डमी कारें भी शामिल होती हैं। इसके अलावा कारों पर जैमर एंटेना लगे होते हैं। ये एंटेना सड़क के दोनों ओर रखे गए बमों को 100 मीटर की दूरी पर डिफ्यूज करने में सक्षम हैं। इन सभी कारों पर NSG के सटीक निशानेबाजों का कब्जा होता है। इसके अलावा काफिले में सिविल ड्रेस में एनएसजी के कमांडो मौजूद होते हैं।