मुंह फुलाकर घर बैठे हैं नेताओं के समर्थक, रूठने-मनाने का दौर शुरू
हल्द्वानी। चुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आती जा रही है वैसे-वैसे चुनावी मैदान में भाग्य आज़माने वाले नेताओं के लिए उनके समर्थक और कार्यकर्ता एक नया सिरदर्द पैदा कर रहे हैं। यह सिरदर्द है मुुंह फुला के घर में बैठ जाने का। या फिर अपने काम धंधे पर ध्यान देकर नेताजी को यह दिखाने का प्रयास करना कि मैं बहुत व्यस्त हूं। समय नहीं मिल रहा है। अपने लोगों से यह भाव दिखाने की उम्मीद नेता अमूमन नहीं रखते। क्योंकि चुनाव का समय बेहद ही कम बचा है तो इसलिए रूठने-मनाने का दौर शुरू हो गया है। एक कहावत है दिन सबके आते हैं। भले ही पांच साल में लौटकर आएं। फूफा की तरह मुंह फुलाए घर बैठे अपने इन कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए नेताओं को डबल मेहनत करनी पड़ रही है।